त्योहार दिलों में उमंग, उत्साह और खुशियां बढ़ाते हैं लेकिन कई बार कुछ ऐसे हादसे हो जाते हैं जो हर साल दर्दनाक मंजर को आंखों के सामने ले आते हैं। ऐसा ही एक हादसा दशकों पहले बुंदेलखंड के एक गांव में हुआ था। उस हादसे के बाद से गांव के लोग होलिका दहन नहीं करते हैं। मामला बुंदेलखंड के सागर जिले का है। यहां के हथखोह गांव में होलिका दहन का जिक्र होते ही लोग डर जाते हैं। अब यहां होलिका दहन नहीं किया जाता।
हथखोह में होलिका दहन वाली शाम ठीक आम दिनों की तरह होती है। यहां किसी के मन में त्योहार वाला कोई उत्साह होता है न कोई उमंग होती है। बताया जाता है कि दशकों पहले होलिका दहन से कई झोपड़ियां जलकर खाक हो गई थी। तब गांव वालों ने झारखंडन देवी की आराधना की। इसके बाद जाकर आग बुझी। स्थानीय लोग मानते हैं कि देवी की आराधना के बाद जाकर आग बुझी और इसीलिए पीढ़ियों से होलिका दहन नहीं हो रहा है।
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8 दशक से नहीं हुआ होलिका दहनः लोगों को डर है कि यदि फिर होलिका दहन किया गया तो मां नाराज हो जाएंगी। इसीलिए होलिका दहन नहीं होता है। गांव में करीब 8 दशक से होलिका दहन नहीं हुआ है। हालांकि लोग रंगों से होली जरूर खेलते हैं। अपने बुजुर्गों से कहानियां सुन चुके गांव के लोग बताते हैं कि उस समय देवी ने साक्षात दर्शन दिए थे। तब से देवी के मंदिर में लोग मनोकामना मांगते हैं और बच्चों का मुंडन भी कराते हैं।