एक जमाने में नसीमुद्दीन सिद्दीकी बीएसपी का मुस्लिम चेहरा माने जाते थे। हाल ही में उन्हें पार्टी के जनरल सेक्रेटरी के पद से हटा दिया गया। उनका आरोप था कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उनसे 50 करोड़ रुपये मांगे हैं। उन्होंने फोन पर रिकॉर्ड की गई बातचीत भी जारी की थी, जिसमें कथित रूप से मायावती पैसे मांगते हुए सुनी गई थीं। इस पर मायावती ने कहा था कि वह सदस्यता बनाने के लिए दिए गए पार्टी फंड को वापस मांग रही थीं। सिद्दीकी पहले एेसे नेता नहीं हैं, जिन्हें बीएसपी से निकाला गया है। इस मुद्दे पर जब सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस ने उनसे पूछा कि वह बीएसपी से अपने निष्काषित होने का क्या कारण मानते हैं तो उन्होंने कहा, मैंने सब प्रेस कॉन्फ्रेंस में बता दिया था। मैं इस पर तब तक कुछ नहीं कहूंगा, जब तक मायावती कुछ नहीं करेंगी।

आपका अगला कदम क्या होगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा, मुझे निकाले जाने के बाद हजारों लोगों ने बीएसपी छोड़ दी है। मैंने 17 मई को पार्टी के 50 पूर्व कॉर्डिनेटर, मंत्री, विधायक, सांसद और जिला अध्यक्षों के साथ बैठक की है, जिसमें हमने एक मोर्चा बनाने का फैसला किया है। नाम जल्द कर लिया जाएगा, लेकिन वह चुनाव नहीं लड़ेगा। यह कांशीराम के दलित शोषित समाज संघर्ष समिति की तरह होगा। हम उन लोगों को साथ लेंगे जो कांशी राम के मिशन और बाबा साहेब की विचारधारा में विश्वास करते हैं, लेकिन उन्हें साइडलाइन कर दिया गया है।

क्या आप उन सभी को साथ लेंगे, जिन्होंने पहले बीएसपी छोड़ी है, नसीमुद्दीन ने कहा, मैं सभी के पास जाऊंगा, कुछ लोगों ने दूसरी पार्टी जॉइन कर ली है। कुछ लोग सभी मौके के इंतजार में हैं। बीएसपी में कई एेसे हैं, जिनकी अनदेखी या बेइज्जती की जा रही है। इनमें से कई मेरे संपर्क में हैं। क्या आपका मकसद बीएसपी को बर्बाद करना होगा? इस पर उन्होंने कहा कि एेसा नहीं हैं। बीएसपी में फैसला लेने वाले खुद उसे बर्बाद करना चाहते हैं। मुझे उसकी जरूरत ही नहीं है।

जब पूछा गया कि क्या मायावती पार्टी की बुरी हालत को देखते हुए खुद को बदलेंगी, तो उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता और न ही बीएसपी की विचारधारा। चुनाव आने पर आप कौन सी पार्टी में शामिल होंगे-कांग्रेस या सपा? उन्होंने कहा, मैं कोई फैसला नहीं लूंगा। हमारे सभी सदस्यों से राय ली जाएगी।