असम का रहने वाला 11 साल का कमल किशोर दास, वही बहादुर बच्चा है जिसने बुधवार (6 सितंबर) को उफनती हुई ब्रह्मपुत्र नदी में, 20 मिनट में तीन बार छलांग लगाकर अपनी मां और चाची को बचा लिया। लेकिन उसका इकलौता दुख यही है कि वह एक महिला और उसके बच्चे को नहीं बचा सका। ये तब हुआ जब वह अपनी मां और चाची को सुरक्षित कर चुका था। दरअसल असम के उत्तरी गुवाहाटी में बुधवार (5 अगस्त) को ब्रह्मपुत्र नदी में एक नाव पलटने से बड़ा हादसा हुआ था। दरअसल 40 यात्रियों को लेकर जा रही नाव इंजन में खराबी के कारण पलट गई थी। इस हादसे में 3 लोगों की मौत हुई थी जबकि 11 लोग लापता हो गए। कुल 12 लोगों को बचाया गया है। नाव पर कुल 40 लोग और 18 मोटरसाइकिलें भी लदी हुईं थीं।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कमल किशोर दास ने उन्हें बताया कि मैंने अपनी मां और चाची को नदी की धार से बाहर निकालने के बाद बुरके में एक महिला और उसकी बाहों में एक बच्चे को देखा। वह नदी से ऊपर तैरने के लिए संघर्ष कर रही थी। मैं दोबारा पानी में कूद गया और दोनों को नदी के बांध पर बने कंक्रीट पिलर पर लाकर खड़ा कर दिया। दुर्भाग्य से बच्चा महिला के हाथों से फिसलकर वापस पानी में गिर गया। पानी में गिरते ही बच्चा नदी की तेज धार में बह गया। बच्चे को पानी के बहाव में बहता देखकर महिला ने नदी में छलांग लगा दी। और मैं उसे सिर्फ देखता ही रह गया। जब तक मैं फिर से छलांग लगा पाता महिला मेरी आंखों के सामने नदी की धार में समा गई।
#Assam: Two dead & 26 missing after a boat with 40 passengers capsized in Brahmaputra river in North Guwahati earlier today. Police & State Disaster Response Force (SDRF) teams are present at the spot. Rescue operation underway. (File pic) pic.twitter.com/dJxILtuSJh
— ANI (@ANI) September 5, 2018
कमल, उत्तरी गुवाहाटी के सेंट एंथोनी स्कूल में कक्षा 5 का छात्र है। कमल किशोर उस दिन अपनी मां और चाची के साथ अपनी दादी को गुवाहाटी में उनके घर छोड़ने के लिए गया था। उन्हें घर में छोड़ने के बाद जब वह गांव की पुरानी नाव से लौट रहे थे। उसी वक्त ब्रह्मपुत्र नदी पूरे उफान पर थी और नाव पर क्षमता से ज्यादा लोग सवार थे। जैसे ही नाव धार में पहुंची नाव बांध के खंभे से टकरा गई।
कमल ने बताया,” नाव जैसे ही बांध के खंभे टकराई, जोर से आवाज हुई और नाव में पानी भरने लगा। नाव डूब रही थी। मेरी मां ने मुझसे कहा कि जूते उतारकर किनारे की तरफ तैरकर निकल जाऊं। मैंने वही किया और किनारे तक पहुंच गया। बाद में मुझे अहसास हुआ कि मेरी मां और मेरी चाची मेरे साथ नहीं थीं। मैं वापस नदी में कूद गया और तैरकर उस जगह तक पहुंच गया जहां से मैंने तैरना शुरू किया था। मैंने अपनी मां को देखा। वह तैरना नहीं जानती थीं और पानी के साथ संघर्ष कर रहीं थीं। मैंने बालों से उन्हें पकड़ लिया और तैरना शुरू किया।
कुछ देर बाद मुझे लगा कि नदी की धार के कारण उनके बाल उखड़ जाएंगे तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया। और बांध के खंभे की तरफ आ गया। कमल के साथ ही कई अन्य बचाने वाले भी खड़े थे। जो तैरना जानते थे और खुद को बचाने के लिए पिलर पकड़कर खड़े थे। अचानक मैंने कुछ दूरी पर एक महिला को देखा जो बिल्कुल मेरी चाची की तरह दिख रही थी और वह भी तैरने के लिए संघर्ष कर रही थी। मैं फिर से पानी में कूद गया और पिलर तक लेकर आ गया।