बॉम्बे हाईकोर्ट ने 75 साल की एक महिला पर अदालत का समय खराब करने के लिए 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। दक्षिण मुंबई निवासी महिला ने बीएमसी (ब्रह्नमुंबई महानगर पालिका) के खिलाफ एक याचिका दायर कर पवई में अपने दो प्लॉट्स खाली कराने की मांग की थी। महिला का आरोप है कि प्लॉट्स पर बीएमसी ने कब्जा कर रखा है। जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस बीपी कोलाबावाला ने कहा, ‘हम लगातार इस तरह की याचिकाओं में बढ़ोतरी देख रहे हैं, इनसे कोर्ट का समय खराब होता है। इन पर भारी जुर्माना लगाए जाने की जरूरत है ताकि इस तरह की याचिकाओं को दाखिल किए जाने पर रोक लग सके।’
याचिकाकर्ता रेणुका बाटलीवाला ने बीएमसी की तरफ से 1 फरवरी को जारी किए गए आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश में महिला को उनके पवई स्थित करीब ढाई हजार वर्गमीटर के दो प्लॉट्स दो हफ्तों के भीतर खाली करने को कहा गया। बाटलीवाला ने कोर्ट से कहा कि 1963 में उनके परिजनों को बीएमसी ने लीज पर दिए थे। अप्रैल 2001 में लीज की अवधि खत्म हुई। बीएमसी के अधिकारी ने 4 नवंबर 2003 में इस लीज की अवधि को 2031 तक बढ़ा दिया था। लेकिन अप्रैल 2007 में बीएमसी ने इसे रीन्यू करने से इनकार कर दिया और कहा कि इसे फिर से लीज पर दिया जाएगा।
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बाटलीवाला ने कहा कि यदि लीज 2001 में ही खत्म हो गई तो बीएमसी करीब एक दशक से भी ज्यादा समय तक उनसे किराया क्यों लेती रही? बेंच ने इस रिट याचिका को कोर्ट की प्रक्रिया का अपमान समझा और कहा कि बीएमसी अधिकारी के पत्र में साफ लिखा है कि प्लॉट की लीज को निगम या समिति की मंजूरी पर 8 अप्रैल 2001 से 30 सालों के लिए बढ़ाया जा सकता है। 7 अप्रैल को लीज खत्म होने के बाद भी करीब 18 सालों तक बाटलीवाला प्लॉट पर कब्जा जमाए बैठी हैं। सिर्फ वो किराया दे रही है इस वजह से लीज को बढ़ाया नहीं जा सकता।