उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जेल कैदियों को आसाराम की तस्वीरों वाले कंबल बांटे जाने का मामला सामने आया है। बता दें कि छोटे बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामले में आसाराम राजस्थान की जोधपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। हालांकि, उसके अनुयायी अभी भी बाहर स्वयंभू संत के प्रचार में जुटे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि शाहजहांपुर आसाराम का शिकार बनी और मामले में गवाह रही बच्ची कृपाल सिंह का घर है। कृपाल सिंह की कुछ सालों पहले ही हत्या कर दी गई थी।
बताया गया है कि जिन लोगों ने जेल में कंबल बांटे, वे खुद कृपाल सिंह की हत्या की साजिश रचने के आरोपों में जेल में बंद थे। हालांकि, उन्हें बाद में जमानत मिल गई थी। अब कंबल बांटने की इस घटना के सामने आने के बाद शाहजहांपुर के डीएम इंद्र विक्रम सिंह ने जेल सुपरिटेंडेंट राकेश कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
बता दें कि 2008 में देशभर में फैले आसाराम के आश्रमों से कुछ युवा लड़कों के गायब होने का मामला सामने आया था। इसके बाद आसाराम पर केस दायर हुए थे। 2018 में आसाराम को शाहजहांपुर की नाबालिग लड़की के साथ जोधपुर आश्रम में दुष्कर्म करने का दोषी पाया गया था।
कैसे सामने आया जेल में कंबल बांटने का मामला?: जेल में कंबल बांटने का यह मामला मंगलवार को तब सामने आया, जब जेल प्रशासन ने एक मीडिया रिलीज जारी की थी। इसमें कंबल बांटने वाले दानकर्ताओं- अर्जुन और नारायण पांडेय के नाम थे। ये दोनों ही आसाराम के लखनऊ आश्रम के रहने वाले हैं और जुलाई 2015 में उन पर कृपाल सिंह की हत्या का आरोप लगा था।
शाहजहांपुर प्रशासन के सूत्रों ने ‘द टेलिग्राफ’ अखबार को बताया कि जेल में कंबल के साथ आसाराम की किताबें भी बांटी गई थीं। साथ ही दानकर्ताओं ने कैदियों के सामने आसाराम की तारीफों के पुल भी बांधे थे। जेल के अंदर हुई इन घटनाओं पर जेल सुपरिटेंडेंट ने कहा कि कंबल बांटने की परमिशन तो ली गई थी, पर किसी ने आसाराम की तस्वीर के बारे में कुछ नहीं कहा। इसके अलावा कैदियों को कुछ धार्मिक किताबें भी दी गई थीं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि दानकर्ताओं ने इस जगह पर आसाराम का एक बैनर भी लगाया था। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि जेल परिसर में आसाराम के बैनर कैसे लगे।