निर्भया सामूहिक बलात्कार मामले के नाबालिग दोषी की रिहाई के विरोध में अंतिम क्षणों में लगाई गर्ई याचिका खारिज किए जाने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने आज के दिन को महिलाओं के लिए एक ‘काला दिन’ बताया। उन्होंने कहा कि देश के साथ धोखा हुआ है क्योंकि उसे (नाबालिग दोषी) कड़ी सजा दिए जाने को संभव बनाने वाला प्रस्तावित कानून राज्यसभा में लंबित पड़ा है।
अदालत के बाहर स्वाति ने पत्रकारों से कहा, ‘देश के इतिहास में यह महिलाओं के लिए काला दिन है। मेरा खुद मानना है कि राज्यसभा ने देश को धोखा दिया। उसने उस कानून को लटकाए रखा, जिससे गंभीर अपराधों में शामिल नाबालिगों को कड़ी सजा मिलने का प्रावधान हो सकता था।’
वह उस विधेयक का हवाला दे रही थीं जिसमें 16-18 साल की उम्र के नाबालिगों को गंभीर अपराधों में शामिल होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। यह विधेयक अभी भी राज्यसभा में लंबित है। स्वाति ने कहा, ‘न्यायाधीशों ने मुझसे कहा कि वह हमारी चिंता साझा करते हैं लेकिन ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे मौजूदा कानून को पलटा जा सके। मेरा मानना है कि अब कैंडल मार्च निकालने का समय बीत चुका है और अब महिलाओं को न्याय की मांग के स्थान पर मशाल उठा लेनी चाहिए।’
नाबालिग दोषी के रिहा होने से कुछ घंटे पहले स्वाति मालीवाल ने शनिवार को आधी रात सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर उसकी रिहाई पर रोक लगाने की मांग की थी। पीड़िता के अभिभावकों के विरोध प्रदर्शन के बीच नाबालिग दोषी को रविवार को रिहा कर दिया गया और एक गैर सरकारी संगठन के पास एक अज्ञात जगह भेज दिया गया।