राजस्थान में भाजपा सरकार के ढाई साल के कामकाज उसके विधायकों और सांसदों को ही मालूम नहीं है। प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जब विधायकों और सांसदों से सरकार के काम गिनाने को कहा तो ज्यादातर बगले झांकने लगे। इसके बाद ही अब पार्टी ने तय किया है कि सरकार की उपलब्धियों को लेकर सबसे पहले जनप्रतिनिधियों को कसा जाए। इसके बाद ही विधायकों के समूह बना कर उन्हें दौरे पर भेजने का फैसला किया गया।
राज्य भाजपा की यहां हुई बैठक में केंद्र और राज्य सरकार के कामकाज को लेकर जनता के बीच जाने का फैसला किया गया। इस बैठक में प्रदेश नेताओं के अलावा हाल में राज्य से राज्यसभा के सदस्य बने केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू भी मौजूद थे। बैठक में मुख्यमंत्री राजे ने अपनी सरकार के कामकाज की पूरी रिपोर्ट पार्टी नेताओं के सामने रखी। मुख्यमंत्री अपने विधायकों से इस बात से खासी खफा हो गईं कि उन्होंने अपने इलाकों में हुए विकास कामों की पुस्तिका प्रकाशित नहीं की है। प्रदेश के 160 विधायकों में से सिर्फ 48 ने ही इस तरह की पुस्तिका का प्रकाशन किया है। इनमें वसुंधरा सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं। इस तरह की विकास पुस्तिका प्रकाशित करने का निर्देश पार्टी संगठन और मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों को दिया था। इसमें कोताही बरतने को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया।
प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने विधायकों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगले 15 दिन में विधायक विकास पुस्तिका का प्रकाशन कर संगठन और मुख्यमंत्री कार्यालय को भिजवाएं। पार्टी ने पहले विधायकों को 30 अप्रैल तक इस तरह की किताब छपवा कर आम जनता में बंटवाने का निर्देश दिया था।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि बैठक में सांसदों और विधायकों को अपनी ही सरकार की विकास योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी नहीं होना भी नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है। इसके बाद ही विधायकों के 19 समूह गठित कर उन्हें विधानसभा क्षेत्रों में भेजने का फैसला किया गया। विधायकों के अलग-अलग समूह 17 क्षेत्रों का दौरा करेंगे। पार्टी का कहना है कि विधायक इलाकों में जाकर जनता की समस्याएं सुनेंगे। इस दौरान उन्हें सरकार की योजनाओं की भी जानकारी देनी होगी। प्रदेश अध्यक्ष परनामी इस तरह के काम पर पूरी निगाह रखेंगे। पार्टी बैठक में ज्यादातर विधायकों ने उनके इलाकों में जमे अफसर और कर्मचारियों के बारे में जमकर शिकायतें की।
इस मामले में गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने भी साफ तौर पर कहा कि निचले स्तर के कर्मचारी पार्टी कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं करते हैं। कटारिया ने कहा कि कार्यकर्ताओं की बदौलत ही सरकार बनी है। इसलिए कार्यकर्ताओं को पूरी तवज्जो मिलनी चाहिए।
प्रदेश भाजपा की इस बैठक में वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी की नाराजगी एक बार फिर उजागर हुई। वो बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने बैठक में नहीं आने के बारे में साफ कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को सब मालूम है। प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता तिवाड़ी लंबे अरसे से अपनी ही सरकार के कामकाज को लेकर नाखुश हैं। प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार और जयपुर में मंदिरों को तोड़े जाने के मामले को लेकर तिवाड़ी ने कई बार अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोला था।