भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने केंद्रीय लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षाओं से इस्लामिक स्टडीज़ विषय को हटाने की मांग रख दी है। हरनाथ सिंह के मुताबिक, वे इस मुद्दे को राज्यसभा में भी उठाएंगे। उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्टडीज़ सब्जेक्ट, जिसमें इस्लाम के उदय से लेकर इसके प्रसार और विज्ञान, कला, वास्तुशास्त्र और फिलॉसफी में इस्लाम के योगदान की पढ़ाई होती है, को ऐसी परीक्षा का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए, जिससे नौकरशाह और पुलिस अफसर चुने जाते हैं।
गौरतलब है कि देशभर में इस वक्त यूपीएससी के नतीजों को लेकर बहस छिड़ गई है। दरअसल, कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों ने यूपीएससी में मुस्लिमों के सेलेक्शन की बढ़ती संख्या के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। हालांकि, भाजपा सांसद ने ऐसे किसी भी लिंक से साफ इनकार किया। हरनाथ सिंह ने कहा, “मुझे इस्लामिक स्टडीज़ के यूपीएससी का हिस्सा होने पर कड़ी आपत्ति है।”
द टेलिग्राफ अखबार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि यूपीएससी में इस्लामिक स्टडीज़ का शामिल होना भारतीय संस्कृति के साथ मेल नहीं खाता। मैं इस सब्जेक्ट के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल करुंगा और इस मुद्दे को संसद के अगले सत्र में उठाऊंगा। उन्होंने कहा कि वे इस्लामिक स्टडीज़ को यूपीएससी परीक्षा से हटाने की मांग करेंगे। बता दें कि संसद सत्र की तारीखें अभी तय नहीं हैं। हालांकि, सितंबर मध्य से 15-20 दिन के सेशन का ऐलान किया जा सकता है।
गौरतलब है कि हरनाथ सिंह यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब यूपीएसएसी में इस साल मुस्लिमों के सेलेक्शन को लेकर सुदर्शन न्यूज चैनल के चीफ एडिटर सुरेश चव्हाणके ने बेवजह विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। उन्होंने हाल ही में अपने शो के ट्रेलर का वीडियो साझा किया था। इस वीडियो में वह कहते हैं, अचानक मुसलमान आईएएस, आईपीएस में कैसे बढ़ गए? ‘सोचिये, जामिया के जिहादी अगर आपके जिलाधिकारी और हर मंत्रालय में सचिव होंगे तो क्या होगा?’ इस वीडियो के सामने आने के साथ ही आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन ने चव्हाणके की निंदा की है।
