Jaya Prada vs Azam Khan: बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री रहीं बीजेपी नेता जया प्रदा ने समाजवादी पार्टी नेता आजम खान का विवादित बयान याद दिलाने पर कहा कि जो जैसा बोते हैं, उन्हें वैसा काटना भी पड़ता है। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान हेट स्पीच के एक मामले (Hate Speech Case 2019 ) में सपा नेता आजम खान को बीते दिन एमपी-एमएलए कोर्ट रामपुर ने दोषी मानते हुए तीन साल की सजा सुनाई है। खान को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नसीब नहीं हो पाई। रामपुर में जल्द ही उपचुनाव (Rampur Bypoll) होने वाला है।
अभद्र बातों के अंजाम का ख्याल रहे
मामले पर जया प्रदा ने लगभग चार साल बाद शनिवार को वाराणसी में एक कार्यक्रम के दौरान आजम खान के बयान और सजा के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अभद्र बातें करने वाले को अंजाम का ध्यान रखना चाहिए। जया प्रदा ने कहा कि राजनीति हो या कुछ और हरेक इंसान को दूसरे इंसान का सम्मान करना बहुत जरूरी होता है। अगर अभद्र टिप्पणी करे या दूसरों को दूषित करे तो जो आजम खान के साथ हो रहा है, वो लोगों के लिए एक मिसाल है। वो जो बोते हैं उन्हें काटना भी होता है।
रामपुर से दो बार सांसद रह चुकी हैं जया प्रदा
रामपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट पर जया प्रदा साल 2004 और 2009 में दो बार सांसद बन चुकी हैं। वहीं लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के टिकट पर उन्हें रामपुर सीट पर सपा उम्मीदवार आजम खान के मुकाबले में हार का मुंह देखना पड़ा था। उसी दौरान चुनाव प्रचार में आजम खान ने जया प्रदा को निशाना बनाते हुए अभद्र टिप्पणी कर दी थी।
लगातार बढ़ती जा रही हैं आजम खान की मुश्किलें
स्पेशल कोर्ट से हेट स्पीच मामले में तीन साल की सजा मिलने के बाद सपा नेता आजम खान की विधानसभा की सदस्यता भी रद्द हो गई है। आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल सकी है। इसके अलावा दूसरे कई मामले में भी आजम खान लगातार उलझते जा रहे हैं।
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वाराणसी में 17-18 दिसंबर को काशी तमिल समागम
वाराणसी में 17-18 दिसंबर को काशी तमिल समागम कार्यक्रम आयोजित होने वाला है। बीजेपी की पूर्व सांसद जया प्रदा इसकी तैयारियों के सिलसिले में ही रीता बहुगुणा जोशी समेत कई नेताओं के साथ मीडिया से बातें कर रही थीं। उन्होंने कार्यक्रम के बार में बताया कि पीएम मोदी की सोच और उनका लक्ष्य एक भारत श्रेष्ठ भारत है। वाराणसी में होने वाला यह कार्यक्रम भी इसी सोच पर आधारित है। इससे उत्तर और दक्षिण के राज्यों और लोगों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक दूरियां कम होंगी।