बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब 10 दिन से भी कम का समय रह गया है। इस बीच सत्तासीन एनडीए और विपक्षी महागठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। भाजपा के महासचिव और बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव ने कहा है कि महागठबंधन में राजद का लेफ्ट पार्टी माले से अपवित्र गठबंधन है। उन्होंने आरोप लगाया कि तेजस्वी कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ गठबंधन कर देश में टुकड़े-टुकड़े गैंग है और उग्र वामपंथ के लोगों का मुखौटा बन कर रह गए हैं।

भूपेंद्र यादव यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव भी इस समय मुखौटा बन कर रह गए हैं। वर्चुअली मार्क्सवादी-लेनिनिस्ट पार्टी माले ने 30 सीटें लेकर एक तरीके से वामपंथी उग्रवाद है, वह राजद के कंधे पर चढ़कर दबे पांव बिहार में घुसने की तैयारी कर रहा है। माले का यह गठबंधन बिहार के पुराने वर्ग संघर्ष को याद दिलाता है। मेरा मानना है कि माले को बिहार के वर्ग संघर्ष के दौरान जो वारदातें हुईं हैं, उसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”

‘राजद के अंदर से भी लड़ रहे मार्क्सवादी उम्मीदवार’: भाजपा महासचिव ने महागठबंधन में लेफ्ट पार्टियों को सीटें दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने (माले ने) 30 सीटें तो उनसे वैसे ले ली हैं और 15-20 अपने कैडर के लोगों को राजद के अंदर से लड़ा लिया है। हम मानते हैं कि जो मार्क्सवादी लोग हैं, जिसको हम उग्र वामपंथ कहते हैं, वह बिहार की दृष्टि से बिल्कुल उचित नहीं है।

‘कांग्रेस को जवाब देना होगा’: यादव ने कांग्रेस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि हम पूछना चाहते हैं कि आखिर कांग्रेस ने किस कारण से मार्क्सवादी-लेनिनवादी पार्टी से समझौता किया है। माले के इतिहास को देखते हुए उन्हें जवाब देना होगा।

‘हमारे सामने महागठबंधन लाया था राजद, एक साल में ही खत्म हो गया’: भूपेंद्र यादव ने विपक्ष हमारे सामने एक महागठबंधन लेकर आया था। जीतनराम मांझी जी ने कहा कि महागठबंधन ने उन्हें धोखा दिया। इसके बाद कुशवाहा जी उनसे अलग होकर तीसरे गठबंधन में चले गए। इसके बाद विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता मुकेश सैनी बोले कि इन्होंने मेरी पीठ पर छुरा भोंक दिया। झारखंड में इनके साथी झामुमो ने कहा कि राजद में राजनीतिक शिष्टाचार नहीं है। तो महागठबंधन तो एक साल में ही खत्म हो गया।