राजस्थान में धौलपुर विधानसभा सीट के होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस पसीना बहा रही है। इस सीट से जीत के बाद दोनों दलों के संख्या गणित में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बावजूद अगले आम चुनाव से डेढ़ साल पहले हो रहे इस उपचुनाव के जरिए ही दोनों दल जनता का मूड भांपने में लगे हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने तो इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। धौलपुर राजे का गृह नगर है।
राज्य में नौ अप्रैल को होने वाले धौलपुर उपचुनाव में सियासी दलों की निगाहें लगी हुई हैं। भाजपा के लिए धौलपुर हमेशा से ही कठिन सीट रही है। विधानसभा के पिछले चुनाव में इस सीट से बसपा के बीएल कुशवाहा जीते थे। उन्हें हत्या के एक मामले में सजा होने के कारण ही उनकी सदस्यता खत्म होने से उपचुनाव हो रहा है। कुशवाहा का इस सीट पर बड़ा असर होने के कारण ही भाजपा ने उपचुनाव के नामांकन से पहले उनकी पत्नी शोभारानी को पार्टी में शामिल कर अपना उम्मीदवार बना दिया। इससे ही साफ हो जाता है कि भाजपा इस उपचुनाव को बड़ी गंभीरता से ले रही है।
उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इस क्षेत्र में बसपा का असर रहा है। बसपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा है इससे कांग्रेस को आसानी लग रही है। कांग्रेस ने अपने दिग्गज नेता पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा को मैदान में उतार कर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश की है। शर्मा इस इलाके से कई बार विधायक रहे हैं। भाजपा के पक्ष में मुख्यमंत्री राजे और उनके एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों के अलावा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने अपनी टीम के साथ मोर्चा संभाल लिया है। भाजपा ने मुसलिम मतदाताओं को लुभाने के लिए इस क्षेत्र के पूर्व विधायक सगीर अहमद को सरकार में राज्यमंत्री का ओहदा तक दे डाला है।