बिहार के बक्सर जिले में महादलित समुदाय के दो बच्चों की कथित तौर पर भूख से मौत का मामला सामने आया है। इन दोनों बच्चों की उम्र 3 और 5 साल थी। हालांकि प्रशासन इन मौतों का कारण बीमारी को बता रहा है। परिवार के मुखिया को कुछ दिनों पहले ही पुलिस ने जेल में बंद कर दिया था। इस कारण परिवार के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था। इसके अलावा परिवार का आरोप है कि इस मुसीबत के वक्त में स्थानीय डीलर ने भी उन्हें राशन नहीं दिया। अब प्रशासन इस पूरे मामले की जांच की बात कह रहा है।
ईनाडू हिंदी में प्रकाशित खबर के अनुसार, ये मामला डुमरांव अनुमंडल से 10 किमी दूर थाना कोरानसराय के मुसहर टोला का है। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब दो महीने पहले एक सड़क दुर्घटना के बाद टोले के लोगों ने सड़क पर जाम लगाया था। पुलिस ने इस मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। इन लोगों में महादलित परिवार के दो कमाऊ सदस्य भी थे। मुखिया के जेल में होने से परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। पास में पैसे न होने के कारण परिवार उनकी जमानत भी नहीं करवा पाया।
रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक बच्चों की मां ने राशन डीलर पर आरोप लगाया कि गरीबी रेखा से नीचे होने के बावजूद उन्हें राशन नहीं दिया गया। महिला ने बार-बार डीलर को बच्चों की बिगड़ती हालत का हवाला दिया लेकिन डीलर ने अनाज नहीं दिया। इसी कारण रक्षाबंधन से कुछ दिन पहले उनकी बीमार 3 साल की बेटी ने दम तोड़ दिया था। इसके बाद रक्षाबंधन के दिन ही 5 साल के बेटे ने भी दम तोड़ दिया। बाद में मामला उजागर होने पर डीलर ने 20 किलो चावल और 20 किलो गेंहू परिवार के घर में भिजवा दिए थे।
लेकिन इस पूरे मामले में सरकारी अधिकारियों ने इसे बीमारी से मौत का मामला बताया है। डीएम के आदेश पर सोमवार को डुमरांव अनुमंडल के एसडीएम हरेन्द्र राम ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी। बाद में एसडीएम ने मीडिया को बताया कि बच्चों की भूख से मौत की बात पूरी तरह से गलत है। मौत भूख से नहीं, बीमारी से हुई है। इस बात की पुष्टि खुद बच्चों की मां ने की है। इसके बाद भी मामले की जांच करवाई जाएगी। कोई दोषी पाया गया तो एक्शन लिया जाएगा।

