दिल्ली सरकार के पूर्व कानून मंत्री और विधायक जितेंद्र सिंह तोमर की कथित एलएलबी की डिग्री के सिलसिले में उनके खिलाफ थाना तातारपुर में शनिवार देर शाम एफआईआर दर्ज की गई है। थाना के एसएचओ इन्स्पेक्टर अमरनाथ प्रसाद ने बताया कि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव मोहन मिश्र ने प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन विश्वविद्यालय पुलिस आउट पोस्ट को शनिवार शाम भेजा था। इससे पहले बीते हफ्ते तोमर ने डिग्री रद्द करने के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। जिसपर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की पीठ ने विश्वविद्यायल से जवाबी हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। हालाँकि तोमर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में विश्वविद्यालय ने काफी देर कर दी। जबकि उनकी एलएलबी डिग्री रद्द करने का फैसला सीनेट ने 20 मार्च को ही ले लिया था। जाहिर है तोमर के पटना हाईकोर्ट में इसके खिलाफ दायर याचिका के बाद विश्वविद्यायल प्रशासन हरकत में आया। और आनन फानन में पुलिस की शरण लेनी पड़ी। यों दिल्ली पुलिस भी मार्च में ही इस मामले में आरोप पत्र दायर कर चुकी है। जिसमें तोमर के अलावे तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय और मुंगेर की विश्वनाथ सिंह आफ लीगल स्टडीज के 17 अधिकारी और कर्मचारी आरोपी बनाए गए है। यह जानकारी थाना हाजखास के एसएचओ सतिंदर सांगवान के नेतृत्व में भागलपुर आई तीन अधिकारियों की टीम ने इस संबाददाता को दी थी। दिल्ली पुलिस इस सिलसिले में आधा दर्जन दफा भागलपुर आ चुकी है।
आरोपपत्र दिल्ली के साकेत कोर्ट में दायर किया है। इनमें 15 अधिकारियों और कर्मचारियों को पूर्व प्रतिकुलपति डा. अवधेश कुमार राय की अध्यक्षता में बनी आंतरिक जांच समिति ने कसूरवार ठहराया था। और पुलिस की कागजी पड़ताल और पूछताछ में भी इनका दोष सामने आया। इसके अलावे दो जने मुंगेर के वीएनएस आफ लीगल स्टडीज के सेंटर सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार सिंह और कॉलेज के मालिक आनंद विजय पर भी चार्जशीट में आरोप तय किया है। बाकी 15 नाम यूँ है-कालेज के उस वक्त के प्राचार्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह, वहां के लेक्चरार जनार्दन प्रसाद यादव, हेड क्लर्क कृष्णानंद, विश्वविद्यालय के पूर्व परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र प्रसाद सिंह, राजीव रंजन पोद्दार, इम्तहान महकमा से जुड़े बड़े नारायण सिंह, रजी अहमद, सदानंद राय,अनुरुद्ध दास, निरंजन कुमार, दिनेश श्रीवास्तव, शंभुनाथ सिंहा, भूदेव प्रसाद सिंह, एचके पांडे और रामवतार शर्मा ।
दिल्ली पुलिस टीम के मुताबिक़ दायर आरोप पत्र हजारों पन्ने में है। मोटी चार्जशीट होने की वजह बताते है कि तोमर ने इंटर से लेकर कानून की डिग्री हासिल करने के तमाम रिकार्ड और विश्वविद्यालयों के 1994 से 1998 सत्र के टेबुलेशन रजिस्टर , अवध विश्वविद्यालय फैजवाद का स्नातक विज्ञान का और बुंदेलखंड झांसी का माइग्रेशन रिकार्ड रजिस्टर बगैरह जैसे जरुरी कागजात आरोप पत्र के साथ लगाए है। तोमर ने ये सभी डिग्री फर्जी तरीके से हासिल कर मुंगेर की लीगल स्टडीज में दाखिला लेते वक्त प्रस्तुत किया था। जांच में भी सभी फर्जी साबित हुई है। ऐसा पुलिस टीम ने बताया था। इतना ही नहीं उन्हें गिरफ्तार कर जब फैजवाद और मुंगेर ले जाकर यह पूछा गया कि वे किस कमरे में बैठ कर इम्तहान दिए थे। तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं था। और वे बगले झाँकने लगे थे। भागलपुर विश्वविद्यालय की लिखवाई एफआईआर संख्या 153 / 17 में भी मोटामोटी इन्हीं सब बातों का जिक्र है। इसी वजह से भारतीय दंड विधान की दफा 419 , 420 , 467 , 468 , 471 , और 120 बी में मामला दर्ज हुआ एसएचओ बताते है। यह सब धाराएं फरेव , धोखाधड़ी , साजिश जैसी संगीन अपराध की है। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के आरोपी कर्मचारी और अधिकारी दिल्ली के साकेत कोर्ट में पेश हो चुके है। और जमानत पर है। इस तथकथित एलएलबी की डिग्री की वजह से आप विधायक जितेंद्र सिंह तोमर को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और जेल जाना पड़ा। फिलहाल वे जमानत पर है।
