बिहार में बीजेपी और जेडीयू की नयी दोस्ती के बाद साम्प्रदायिक दंगे बढ़े हैं। बीजेपी के साथ नीतीश कुमार की नयी पारी के बाद राज्य में अब तक साम्प्रदायिक तानव की 200 घटनाएं हो चुकी हैं। साल 2018 के लगभग 90-91 दिन गुजर चुके हैं। इस साल के इन तीन महीनों में ही साम्प्रदायिक तनाव की 64 घटनाएं हो चुकी हैं। ये खुलासा इंडियन एक्सप्रेस द्वारा सरकारी आंकड़ों के तुलनात्मक अध्ययन से हुआ है। बता दें कि पिछले साल जुलाई में नीतीश कुमार ने लालू यादव की आरजेडी से रिश्ता खत्म कर बीजेपी को अपना नया राजनीतिक साथी बनाया था और NDA में पुनर्वापसी की थी। अगर हम पिछले पांच साल के आंकड़ों की बात करें तो 2012 में 50 ऐसी घटनाएं हुई थीं। 2013 में ये आंकड़ा 112 था। 2014 में यह 110 रहा, 2015 में ये आंकड़ा बढ़कर 155 हो गया। 2016 में इसमें जबर्दस्त इजाफा देखने को मिला और बिहार में साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं बढ़कर 230 हो गईं। जबकि 2017 में धार्मिक टकराव की 270 घटनाएं हुईं। ये आंकड़ा पांच साल में सबसे ज्यादा है। 2017 में नीतीश कुमार जुलाई तक आरजेडी के साथ थे। इसके बाद उन्होंने बीजेपी के साथ सत्ता संभाली।
इस साल अब तक धार्मिक टकराव के 64 मामले सामने आए हैं। अगर घटनाओं का मासिक विवरण निकालें तो जनवरी में 21, फरवरी में 13 और मार्च में 30 साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं पुलिस ने दर्ज की। मार्च में हुई कई घटनाएं मुस्लिम बहुत इलाकों से धार्मिक जुलूस निकालने से जुड़ी हुई हैं। इस साल अररिया लोकसभा उपचुनाव में आरजेडी की जीत के बाद कथित रूप से मुस्लिम युवकों द्वारा देश विरोधी नारे लगाने की वजह से वहां माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इसके अलावा रामनवमी पूजा के दौरान भागलपुर, मुंगेर, औरंगाबाद, समस्तीपुर, शेखपुरा, नवादा और नालंदा में भी हिन्दू-मुस्लिम टकराव की घटनाएं सामने आई थीं।
बिहार पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, रामनवमी जुलूस में परंपरागत हथियारों का प्रदर्शन होता रहा है। लेकिन इस साल रामनवमी के दौरान युवा बड़ी संख्या में नयी-नयी तलवारें चमकाते दिखे थे। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या किसी विशेष समूह द्वारा इन तलवारों की सप्लाई की गई थी। बिहार पुलिस का कहना है कि रामनवमी (मार्च) और दशहरा (सितंबर-अक्टूबर) के दौरान माहौल वैसे ही नाजुक रहता है। बिहार पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, “यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि इस साल साम्प्रदायिक घटनाओं में इजाफा हुआ है, लेकिन हमने देखा कि इस बार बड़े पैमाने पर भीड़ इकट्ठा हुई थी।” उन्होंने कहा कि अफवाहों से निपटने के लिए पुलिस को अलर्ट रहना होगा। बिहार के डीजीपी के एस द्विवेदी ने कहा, “हालांकि, साम्प्रदायिक घटनाएं हुई हैं, लेकिन पुलिस ने इन पर तुरंत काबू पा लिया है। हम लोगों ने अब तक आंकड़ों का विश्लेषण नहीं किया है, लेकिन हर केस को अलग-अलग गंभीरता से देख रहे हैं और सबूतों, गवाहों के आधार पर इस पर विचार कर रहे हैं। हो सकता है कि कुछ नेता और लोग दिक्कत पैदा करना चाहते हैं, लेकिन हम लोग हर केस को देख रहे हैं ताकि इस मास मोबलाइजेशन को समझ सकें।”
साम्प्रदायिक तनाव की बढ़ती घटनाओं पर जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के सी त्यागी ने कहा कि हालांकि पूर्व में भी रामनवमी के दौरान साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं हुई हैं, लेकिन मौजूदा ट्रेंड चिंताजनक है और एंटी सोशल तत्वों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करनी होगी।” वहीं, बीजेपी ने भी हिंसा में इजाफा को स्वीकार किया है। बीजेपी प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा, “निश्चित रूप से इस बार रामनवमी में ज्यादा लोगों की मौजूदगी थी, लेकिन पुलिस को हिंसा भड़काने में आरजेडी के रोल की भी जांच करनी चाहिए। पुलिस ने पहले ही कुछ जगहों पर आरजेडी और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है। जहां तक हिंसा में इजाफे की बात है, अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।”