नीतीश कुमार गुरुवार (27 जुलाई) को सुबह 10 बजे बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि जब बुधवार (26 जुलाई) की शाम नीतीश ने राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को इस्तीफा सौंपा था तो जदयू नेताओं के हवाले से मीडिया में खबर आई थी कि नीतीश दोबारा गुरुरवार शाम पांच बजे शपथ ग्रहण करेंगे। लेकिन रात को नीतीश राज्यपाल से दोबारा मिले और उन्हें अगली सुबह 10 बजे शपथ ग्रहण का समय मिल गया। रातों-रात नीतीश एनडीए के नेता चुन लिए गए। नीतीश के साथ बीजेपी नेता सुशील मोदी डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे। सूत्रों की मानें तो शपथ ग्रहण के समय में ये तब्दीली लालू यादव और राजद द्वारा बिहार के सबसे बड़ा दल होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश करने की कोशिश की वजह से की गई।

महागठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव ने भी शपथ ग्रहण के समय में बदलाव पर सवाल उठाया।  तेजस्वी ने गुरुवार रात 1.20 पर ट्वीट किया, “राज्यपाल ने हमें सुबह 11 बजे का समय दिया था और अब अचानक एनडीए को 10 बजे शपथ ग्रहण के लिए कह दिया गया। इतनी जल्दी क्या है श्री ईमानदार और नैतिक जी?” 243 सीटों वाली बिहार विधान सभा में राजद के 80, जदयू के 71 और कांग्रेस के 27 विधायक हैं। बीजेपी के पास 53 और उसके साझेदारों लोक जनशक्ति पार्टी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के पास दो-दो और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के पास एक विधायक हैं। यानी एनडीए के पास कुल 58 विधायक हैं। बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है। जाहिर है राजद के 80 और कांग्रेस के 27 विधायकों के बाद लालू यादव को 15 विधायक चाहिए ताकि वो सरकार बनवा सकें। जोड़तोड़ के दौर में 15 विधायकों का जुगाड़ नामुमकिन नहीं है।

जाहिर है बीजेपी या जदयू किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते। नया गठबंधन विपक्षियों को जोड़तोड़ का मौका नहीं देना चाहता। शायद यही वजह होगी कि नीतीश को आनन-फानन में शपथ दिलायी जा रही है। नीतीश कुमार करीब 20 महीने बाद जब दोबारा बिहार के सीएम पद की शपथ ले रहे होंगे तो उनके साथ इस बार तेजस्वी की जगह सुशील मोदी नजर आएंगे। वही सुशील मोदी जो उनके साथ 10 साल तक डिप्टी सीएम रह चुके हैं और पिछले एक साल में लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगा चुके हैं। हालांकि लालू परिवार उनके आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताता है।