27 साल पहले तक जनाब लोक दल में एक साधारण नेता हुआ करते थे। उन दिनों नेताओं और पत्रकारों का जब कभी बिहारशरीफ जाना होता था तो उन्हें टमटम पर बैठाकर बतौर गाइड शहर के ऐतिहासिक धरोहरों और विभिन्न दर्शनीय स्थलों पर ले जाया करते थे। लेकिन कहावत है न, हर दिन होत न एक समाना। राज्य में सुशासन के आगमन की आहट से ही उनके दिन बहुरने लगे थे। सरकार बनी तो मंत्रिमंडल में मलाईदार और दमदार विभाग भी मिला। मंत्री जी पर धीरे-धीरे धन की देवी की कृपा बरसने लगी। अपने पहले ही कार्यकाल में उन्होंने पटना, बिहारशरीफ और नालन्दा के इर्द-गिर्द 11 बीघा जमीन खरीद ली। पत्नी के नाम पर इन्डेन कुकिंग गैस की एजेंसी भी ले ली। विरोधी व्यंग्य कसते, ‘‘आखिर कृष्ण अपने सुदामा को दीन-हीन अवस्था में नहीं देख सकते।’’
मंत्री महोदय के बढ़ते दबदबे की वजह से उनके आंगन में चर्चित बिहार कर्मचारी चयन आयोग नियुक्ति घोटाला के सूत्रधार परमेश्वर राम का प्रवेश हुआ। सूत्र बताते हैं कि दोनों हस्तियों के बीच लेन-देन फाइनल हुआ। सारण जिले के रसूलपुर महादलित परिवार में पैदा हुए परमेश्वर राम की नियुक्ति पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने की थी। आयोग में वर्षों से जारी गोरखधंधा इसी मंत्री महोदय के संरक्षण में बिना डर-भय के चलता रहा। चूंकि परमेश्वर राम बतौर सरकारी अधिकारी कई जिलों में कार्यरत रहे हैं, इसलिए स्वभाविक है कि कई मत्रियों ने राम को सुरक्षा कवच के वादे के साथ नौकरी देने के लिए उनके हाथों अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची थमा दी। इसका खुलासा खुद परमेश्वर राम ने एसआईटी की पूछताछ में किया है।
बिहार कर्मचारी चयन आयोग घोटाला को अधिकारियों ने बहती गंगा में डुबकी लगाने जैसा कहा है। आयोग के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने भी पूछताछ में परीक्षा एवं नियुक्ति में चल रही अनियमितता की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा है कि कई मंत्री और अधिकारी उनसे पैरवी के लिए सम्पर्क किया करते थे। बहरहाल, एसआईटी ने अबतक कुल 30 लोगों को इस घोटाले में पकड़ा है जिसमें एवीएन स्कूल के संस्थापक रामाशीष सिंह यादव भी हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का आरोप है कि यादव के तार लालू प्रसाद यादव से जुड़े हैं। लालू प्रसाद यादव ने मोदी के आरोपों को चुनौती दी है। जब जनसत्ता.काम ने पड़ताल की तो पता चला कि रामाशीष सिंह यादव की नियुक्ति साइन्स और टेक्नोलॉजी विभाग में तीन दशक पहले तब के मंत्री डा. विजय सिंह की सिफारिश पर हुई थी। बाद के दौर में वे लालू प्रसाद यादव के छोटे साला के सम्पर्क में आकर शराब के धंधे से जुड़े और करोड़ों की सम्पत्ति अर्जित की। औरंगाबाद जिला के सलइया थाना में मलहता गांव निवासी रामाशीष सिंह यादव अभी परमेश्वर की कृपा से दोनों हाथों से धन बटोर रहे थे।