सबौर कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और तारापुर विधान सभा क्षेत्र से जदयू विधायक मेवालाल चौधरी के खिलाफ अदालत ने गिरफ़्तारी वारंट जारी किया है। अब उनकी गिरफ्तारी के लिए भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने विशेष दल गठित किया है। मेवालाल चौधरी पर कुलपति रहते हुए 161 कनीय शिक्षक और वैज्ञानिकों की बहाली में धांधली करने का आरोप है। इसी को लेकर राज्यपाल सह कुलाधिपति के आदेश पर थाना सबौर में 35/17 नम्बर की एफआईआर दर्ज की गई है। मंगलवार को भागलपुर के एडीजे राकेश मालवीय ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी रदद् कर दी थी। इसके बाद पांच गवाहों के बयान दफा 164 के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए थे। ये बहाली जुलाई 2011 में प्रकाशित विज्ञापन के माध्यम से बाकायदा इंटरव्यू प्रक्रिया के तहत की गई थी।

राजभवन ने रिटायर जस्टिस महफूज आलम से बहाली में हुई गड़बड़ियों की जांच कराई थी। अपने 63 पन्ने की जांच रिपोर्ट में जज महफूज आलम ने गड़बड़ी की पुष्टि की थी। एसएसपी मनोज कुमार बताते हैं कि क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय को मेवा लाल चौधरी का पासपोर्ट जब्त करने के लिए लिखा गया है। ताकि वो विदेश न भाग सकें। पुलिस ने मेवालाल की गिरफ़्तारी के लिए दबिश भी बढ़ा दी है। इसके साथ ही उनके संभावित ठिकानों पर पुलिस छापेमारी की जा रही है।

जब भागलपुर कृषि कॉलेज को नीतीश कुमार की सरकार ने विश्वविद्यालय का दर्जा दिया तो मेवालाल चौधरी को पहला कुलपति बनाया गया था। ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसे के और नजदीकी माने जाते हैं। जब ये रिटायर हुए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जदयू का टिकट देकर विधायक बना दिया। मेवालाल जी के नीतीश कुमार से रिश्ते का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब कुलपति थे तो इनकी पत्नी नीता चौधरी भी जदयू की टिकट पर तारापुर की विधायक चुनी गई थीं। लेकिन बहाली में गड़बड़ी की बात सामने आने और राजभवन से प्राथमिकी दर्ज होने के बाद विपक्षी तेवर इनके खिलाफ कड़े होने की वजह से मेवालाल चौधरी को जदयू से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को मजबूर होना पड़ा।