छोटा परिवार -सुखी परिवार के नारे के साथ आशा कार्यकर्ता अब घर घर कंडोम वितरित करेंगे। जनसंख्या नियंत्रण पखवारा स्वास्थ्य महकमा ने मंगलवार से शुरू किया है। यह राज्य व्यापी अभियान 24 जुलाई तक चलेगा। सूबे के 37 जिलों में जागरूकता लाने के वास्ते सारथी रथ पटना रवाना से किया गया है। इन जिलों में पटना शामिल नहीं है। स्वास्थ्य महकमा ने इसकी वजह पटना की प्रजनन दर 2.6 फीसदी बताई है, जबकि सबसे ज्यादा प्रजनन दर 4.6 शिवहर जिले की बताई है।

मालूम हो कि सूबे बिहार में 2010 से जनसंख्या नियंत्रण पखवारा आयोजित हो रहा है। इसी रोज विश्व जनसंख्या दिवस भी मनाया जाता है। पखवारे के दौरान पूरे राज्य में स्वास्थ्य महकमा कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित करेगा। जनसंख्या नियंत्रण रथ प्रदेश के हरेक ब्लॉक और पंचायत में जाकर आवादी काबू में रखने की जानकारी देगा। वीडियो के जरिए ग्रामीणों में इस ओर जागरूकता पैदा करेगा। रथ पर इस बाबत बताने वाले व सलाह देने वाले लोग भी मौजूद रहेंगे।

लोगों में जनसंख्या नियंत्रण के प्रति आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन राशि भी देने का प्रावधान किया गया है। पुरुष नसबंदी के लिए 3 हजार और महिला बंध्याकरण के एवज में 2 हजार रूपए दिए जाएंगे। प्रसव के फौरन बाद कॉपर टी लगवाने पर तीन सौ रूपए मिलेंगे। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कंडोम बांटेंगे।

आदर्श दंपति योजना के तहत लक्षित दंपति को इस बाबत सलाह देने के लिए अलग से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। आदर्श दंपति का मायने है कि नवविवाहित जोड़े को प्रेरित कर शादी के दो साल बाद ही पहले बच्चे का जन्म हो। इसके लिए आशा को पांच सौ रूपए मिलेंगे। इसी तरह पहले बच्चे और दूसरे बच्चे में तीन साल का अंतर करने पर भी पांच सौ रूपए। दो बच्चे वाले माता पिता का स्थाई तौर पर परिवार नियोजन करने पर आशा कार्यकर्ता को एक हजार रूपए एक दंपति के हिसाब से मिलेंगे।

हालांकि, योजना तो प्रेरित करने के ख्याल से लागू की गई है। मगर पैसों के लालच में ग़ांव देहात में जोर जबर्दस्ती न हो इस बात का ख्याल रखना भी जरुरी होगा। 1975 का आपातकाल जबरन नसबंदी को लेकर भी याद किया जाता है। उस वक्त भी लक्ष्य और प्रोत्साहन राशि की लूट के वास्ते क्या कुछ नहीं हुआ।