झारखंड के गोड्डा जंगल से भटक कर आए मतवाले हाथी ने अब तक दो लोगों की जान ले ली और पांच लोगों को जख्मी कर दिया। इस बीच वन महकमे के अधिकारियों और बंगाल के बांकुड़ा से हाथी को काबू करने के लिए बुलाई गई टीम की कोशिश भी नाकाम होती दिखाई दी। हाथी ने पूरे गांव में घूम-घूमकर उत्पात मचाया। चश्मदीद बताते हैं कि लोग रात में डर से रतजगा कर रहे हैं। लालटेन और मशाल जला रात काट रहे हैं। हाथी ने खेतों में खड़ी गेहूं और चने के फसल को बर्बाद कर दिया है। कुछ लोगों का मजाक में कहना है कि यूपी चुनाव में हार के बाद बौराई बहन मायावती ने अपने हाथी को बिहार में छोड़ दिया है। अब हाथी मेरे साथी न होकर दुश्मन हो चला है।
मजाक से अलग अगर बात करे तो जिन घरों के सदस्यों की जान चली गई है या फिर जो लोग जख्मी हो गए हैं उनके घरों में मातम पसरा हुआ है। वन्य अधिकारी संजय सिन्हा, बीके सिंह के मुताबिक, हाथी बीते तीन हफ्ते से बांका के जंगलों में घूम रहा है। उसे झारखंड गोड्डा के जंगल में वापस भेजने की कोशिश की जा रही है। बांकुड़ा से आई टीम भी उसके पैरों के निशान खेतों में देखकर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह किस ओर छुपा है। मगर हाथी बगैर किसी की परवाह किए बांका के गोराडीह में उत्पात मचाते हुए भागलपुर के कहलगांव इलाके में आकर किसी को सूंड में लपेट पटक रहा है तो किसी को अपने दांत घोप जख्मी कर रहा है।

सारध गांव के गुदड़ी मंडल (57), आलमपुर गांव के लखन दास (50) की हाथी ने जान ले ली। हाथी ने गुदड़ी मंडल की लाश खेत में कुचलकर और लखन को सूंड में लपेट जमीन पर पटककर जान ले ली। इस बाबत पुलिस ने इनके बेटों के बयान पर मामला अलग अलग थाने में दर्ज किया है। इसके अलावे कहलगांव आमापुर के वाशिंदे कंचन सिंह, घोघा के सुरेश मंडल, नंदलालपुर के मुरारी साह, अमित पासवान और सदानन्दपुर के उदयचंद सिंह भी हाथी की चपेट में आकर जख्मी हो इलाज करा रहे हैं।
हिंसक हुए हाथी ने सारध, छोटी दोस्तानी, डंडाबाजार, अंगारी, कोला नारायणपुर, गोराडीह, कमलाकुंड, जगदीशपुर, अमरपुर बगैरह एक दर्जन से ज्यादा भागलपुर और बांका के गांवों में उत्पात मचा रखा है। गांव के राजेश मंडल बताते हैं कि दस से पंद्रह बीघे में लगी केवल मकई की फसल हाथी ने पैरों से रौंद कर बर्बाद कर दी। फसलों को काफी नुकसान हुआ है।
इधर, बांकुड़ा और पटना से हाथी भगाने या पकड़ने की माहिर टीम कई रोज से परेशान है। मगर वे नाकामयाब है। इनकी कोशिश है कि हाथी को वापस झारखंड के जंगल में भेज दिया जाए। 50 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी इस काम में लगे है। वन महकमा के डीएफओ संजय कुमार सिंहा बताते हैं कि हाथी व जंगली जानवरों को मारने के माहिर देश के इकलौते लाइसेंसधारी शार्प शूटर शफत अली खान कल रात भागलपुर पहुंच चुके हैं। ये हैदराबाद से आए हैं। लेकिन पहले रास्ता भटक कर आए हाथी को सही राह की ओर भेजने की कोशिश कर रहे हैं।

गांवों में दहशत का माहौल होने की वजह से लोग सो नहीं पा रहे हैं। फसल और जान दोनों की सामत आई है। गांव के लोगों को प्रशासन पर भी भरोसा नहीं है। हालांकि, वन अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि हाथी ने झारखंड जंगल का रुख कर लिया है। जाहिर है यह डर इनकी कई और रातों की नींद खराब करेगा। वजह है कि ये अधिकारी भी पक्की तौर पर बोलने की हालत में नहीं हैं।