बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने अपने स्टाफ से कहा है कि वे कैजुअल कपड़े पहनकर ऑफिस नहीं आएं। खास तौर पर आफिस में जींस और टी-शर्ट पहनने पर सख्त मनाही हो गई है। विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जींस और टीशर्ट आफिशियल कल्चर के खिलाफ है। इससे गरिमा नहीं झलकती है। आदेश में सभी कर्मचारियों से कहा गया है कि वह फॉर्मल ड्रेस में ही अपने कार्यालय आएं। यह आदेश शिक्षा विभाग के निदेशक (प्रशासन) सुबोध कुमार चौधरी ने जारी किया है। यह आदेश 28 जून से ही लागू कर दिया गया है।
आदेश शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर जारी किया गया है। उनके बारे में चर्चा है कि वे बहुत ही सख्त मिजाज अफसर हैं। उन्होंने जब से चार्ज लिया है तब से अब तक स्कूलों की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कई तरह के आदेश जारी कर चुके हैं।
कैजुअल ड्रेस को कार्यालय संस्कृति के खिलाफ कहा गया
आदेश में कहा गया है, ‘‘यह देखा गया है कि विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ऐसी पोशाक पहनकर कार्यालय आ रहे हैं जो कार्यालय संस्कृति के खिलाफ है। कार्यालय में अधिकारियों या अन्य कर्मचारियों का ‘कैजुअल’ कपड़े पहनना कार्यालय की कामकाज की संस्कृति के विरुद्ध है।’’
आदेश में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए निर्देश दिया गया है कि वे शिक्षा विभाग के कार्यालयों में ‘फॉर्मल’ कपड़े पहनकर आएं। विभाग के कार्यालयों में तत्काल प्रभाव से किसी भी ‘कैजुअल’ पोशाक खासकर जींस व टी-शर्ट पहनने की अनुमति नहीं होगी।’’ इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले सारण जिले के जिला मजिस्ट्रेट ने अप्रैल में सभी सरकारी कर्मचारियों के सरकारी कार्यालयों में जींस व टी-शर्ट पहनने पर रोक लगा दी थी। बिहार सरकार ने 2019 में राज्य सचिवालय में कर्मचारियों के जींस व टी-शर्ट पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसका मकसद ‘‘कार्यालय की मर्यादा’’ बनाए रखना बताया गया है। सरकार ने राज्य सचिवालय के कर्मचारियों को कार्यालय में सादे, सुविधाजनक और हल्के रंग के कपड़े पहनने के लिए कहा है।