बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि देश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लिए आरक्षण के प्रावधानों को समाप्त करने की किसी में ताकत नहीं है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गया में पार्टी के मगध प्रमंडलीय दलित-महादलित कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि ‘‘हमारी प्रतिबद्धता न्याय के साथ विकास के प्रति है।’’ न्याय के साथ विकास का मतलब समाज के हर तबके और हर इलाके का विकास है।
नीतीश ने कहा कि इस देश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण के प्रावधानों को समाप्त करने की किसी में ताकत नहीं है। इसके लिए हम हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जिन्होंने कभी आरक्षण के लिए कुछ नहीं किया, वे ऐसी बातें कर रहे हैं। नीतीश ने कहा कि लोग बिना काम किए और बिना सिद्धांत के प्रति निष्ठा रखे राजनीति में आ जाते हैं और ताकत मिलने पर उसका दुरुपयोग करते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज में भ्रम और टकराव पैदा करना चाहते हैं। बाबा साहेब ने संविधान की रचना की, जिसे संविधान सभा ने स्वीकार किया। आरक्षण नहीं मिलेगा तो हाशिए पर रह रहे लोग मुख्य धारा में कैसे आएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ज्ञान एवं मोक्ष की भूमि है। जब ‘‘जय भीम’’ कहते हैं तो यह समझ लें कि बौद्ध धर्म का संदेश अहिंसा, शांति एवं सहिष्णुता का है। जब तक आपका विकास नहीं होगा। समाज, राज्य एवं देश का विकास नहीं हो सकता है।
गौरतलब है कि, आरक्षण पर हर पार्टी और उनके नेता बयान देते रहते हैं। कुछ समय पहले ही सरकारी नौकरियों में एससी/एसटी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया था। अपने फैसल में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2006 के अपने फैसले को ही बरकरार रखते हुए कहा था कि इस पर फिर से विचार करने की जरुरत नहीं है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले को 7 जजों की संविधान पीठ के पास भेजने से भी इंकार कर दिया था।
