बीजेपी, आरएसएस और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को बिहार के भागलपुर में एक जुलूस निकाला, जिसके बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया। आरोप है कि इस जुलूस के दौरान लोगों ने भड़काऊ नारे लगाए, जिसकी वजह से सांप्रदायिक झड़पें हुईं। इस जुलूस की अगुआई केंद्रीय सरकार में मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के बेटे अरिजित शाश्वत कर रहे थे। बता दें कि हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर इस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय नववर्ष जागरण समिति की ओर से किया गया था। झड़प नाथनगर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले मेदिनी चौक पर हुई। यह इलाका मुस्लिम बहुल माना जाता है।

सूत्रों के मुताबिक, इस इलाके से मोटरसाइकिल जुलूस दोपहर 3 बजकर 45 मिनट के करीब निकल रहा था। तभी यहां पथराव की घटना हुई। ललमटिया चौकी इंचार्ज संजीव कुमार की नाथनगर में ड्यूटी लगी थी। उन्होंने आशंका जताई कि जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने ‘भड़काऊ’ नारे लगाए, जिसकी वजह से हिंसा भड़की। अरिजित शाश्वत ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया। वह पिछले विधानसभा चुनाव में भागलपुर से बीजेपी कैंडिडेट थे, लेकिन हार गए थे। उन्होंने कहा, “यह एक मोटरसाइकिल जुलूस था। मैं उस जगह से 3-4 किमी दूर था, जब पथराव शुरू हुआ। मेरे आगे पुलिस जीप चल रही थी। आप मेरी बात की पुष्टि करने के लिए घटना के वीडियो क्लिप्स देख सकते हैं।”

केंद्र सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, “मुझे गर्व है कि अरिजित मेरा बेटा है। सभी बीजेपी कार्यकर्ता मेरे बेटे जैसे हैं। क्या हिंदू नववर्ष पर जुलूस निकालना गलत है? क्या भारत मां की बात करना गलत है। क्या वंदे मातरम कहना गुनाह है?” वहीं, इस जुलूस में शरीक हुए स्थानीय बीजेपी नेता संजीव कुमार ने कहा कि पथराव तब हुआ, जब मोटरसाइकिलें काफी आगे निकल गई थीं। उन्होंने कहा, “जुलूस में शामिल कुछ लोगों ने नारेबाजी की, जिस पर कुछ मुस्लिमों ने प्रतिक्रिया दी। कुछ देर बाद पथराव हुआ।” बता दें कि दो समुदायों के बीच हुई पत्थरबाजी में तीन पुलिसवाले घायल हो गए। नाथनगर पुलिस स्टेशन के एक अफसर ने कहा, “हमारी भरसक कोशिश के बावजूद पथराव 45 मिनट तक चलता रहा।”

उधर, रविवार को नाथनगर इलाके में अधिकतर दुकानें बंद रहीं। भागलपुर और आसपास की 18 संवेदनशील जगहों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की टुकड़ियां तैनात की गईं। इनमें से 10 इलाके नाथनगर पुलिस थाने के अंतर्गत आते हैं। पुलिस स्टेशन इंचार्ज मोहम्मद जनीफुद्दीन ने कहा, “हम शरारती तत्वों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। हमने दोनों समुदाय के लोगों से भी बात की है।”

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जिस दिन से 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी के.एस. द्विवेदी को बिहार का पुलिस महानिदेशक बनाने का ऐलान हुआ, उसी दिन से फैसले पर सवाल उठने लगे थे। विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 1989 के भागलपुर दंगों की याद दिलाते हुए द्विवेदी की नियुक्ति को कटघरे में खड़ा किया। दंगों के समय द्विवेदी भागलपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे। इन दंगों में 1,000 से ज्‍यादा लोग मारे गए। राज्‍य द्वारा जांच के लिए गठित एक आयोग ने एसपी (द्विवेदी) को लेकर प्रतिकूल टिप्‍पणियां की थीं। द्विवेदी को बाद में हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में क्‍लीन चिट मिली। उनकी नियुक्ति से भागलपुर दंगे की चर्चा शुरू हुई है, आइए जानते हैं कि तब आखिर हुआ क्‍या था। (Photos: Express Archive/Manoj Kumar Sinha)