भागलपुर के डीआईजी सुजीत कुमार ने यहां की पुलिस पाठशाला से बिहार पुलिस अवर सेवा में चयनित प्रतियोगियों को शुभकामनाएं दी। इस पाठशाला से चुने गए 36 प्रतियोगी दारोगा,सार्जेंट व सहायक जेल अधीक्षक के पद पर तैनात किए जाएंगे। ये सभी आर्थिक रूप से कमजोर हैं। जिनके पास कोचिंग में पढ़ने के लिए फीस नहीं थी उनके लिए भागलपुर की पुलिस पाठशाला अहम भूमिका निभाई।

डीआईजी सुजीत कुमार ने बताया कि 19 प्रतियोगी छात्राएं और 17 छात्र भागलपुर की सामुदायिक पुलिस पाठशाला से चयनित हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से दस प्रतियोगी ऐसे हैं जो पुलिस में सिपाही की नौकरी करते हुए कामयाबी हासिल किए हैं। इनमें  डीआईजी दफ्तर की प्रीति कुमारी के अलावे अलका कुमारी, सावित्री कुमारी, गोविंद कुमार, शिव कुमार पासवान, विक्रम चौधरी आदि शामिल हैं। इन्हें भागलपुर की एसएसपी नताशा गुड़िया ने अपने दफ्तर में बुलाकर मिठाई खिलाई और उज्ज्वल भविष्य की कामना कर बधाई दी।

ज्ञात हो कि पाठशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए सुजीत कुमार ने प्रतियोगियों का काफी उत्साह बढ़ाया था। हालांकि वे कहते हैं कि मनोज कुमार का लगाया पौधा और आशीष भारती का सींचा अब बड़ा होकर फल दे रहा है। ये दोनों आईपीएस अधिकारी भागलपुर के एसएसपी रह चुके हैं। फिलहाल सुपौल और रोहतास के एसपी हैं। यह उपलब्धि भागलपुर पुलिस के लिए गौरव की बात है।

रोहतास के एसपी आशीष भारती ने बताया कि चयनित प्रतियोगियों के सामने अब अपनी निष्ठा और ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाने की बड़ी चुनौती है। वे इसमें भी खरे उतरे इसके लिए ईश्वर से आराधना करता हूं। जो प्रतियोगी असफल हुए हैं उन्हें  हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है। कहां चूक हुई है, इसका मनन कर फिर से तैयारी में लग जाएं, कामयाबी मिलनी ही है।

दरअसल 2017 में तत्कालीन एसएसपी मनोज कुमार ने आर्थिक रूप से कमजोर प्रतियोगियों को दारोगा बनाने के लिए पुलिस पाठशाला बनाई थी। उस वक्त 1771 पदों के लिए बहाली निकली थी। सामुदायिक पुलिसिंग के तहत 500 आवेदकों के बीच से टॉप-100 छांट कर दारोगा बनाने की योजना बनाई थी। पाठशाला चलाने के लिए भागलपुर तिलकामांझी विश्वविद्यालय के कुलपति से प्रशाल मुहैया कराने का अनुरोध किया गया था। साथ ही योग्य शिक्षकों का चयन किया गया। प्रशिक्षु आईपीएस जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। जिसमें यहां तैनात चार डीएसपी रैंक के अधिकारी शामिल किए गए। साथ ही यह तय हुआ कि 2009 बैच के चयनित दारोगा भी कोचिंग में पढ़ाएंगे।

साथ ही सुनिश्चित किया गया कि कोचिंग में दाखिला केवल भागलपुर ज़िले के वाशिंदे ही ले सकेंगे। सबूत के तौर पर उन्हें अंचल से जारी आवासीय प्रमाण पत्र लगाना होगा। पाठशाला में पढ़ाई पूरी तरह मुफ्त होगी। दाखिला उन्हीं का होगा जो आर्थिक तौर पर कमजोर होंगे। इनके बनाए ढांचे को इनके तबादले के बाद एसएसपी पद पर आए आशीष भारती ने बड़ा मुकाम दिया। नतीजतन बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग के आए 2019 के नतीजे में भागलपुर पुलिस पाठशाला के 50 से ज्यादा प्रतियोगियों ने बाजी मारी। 2020-2021 के कोरोना काल के बाबजूद चार रोज पहले आए रिजल्ट में 36 प्रतियोगियों का चयन हुआ है। जो गरीबों के लिए बनाई गई पुलिस पाठशाला के लिए अहम और सिर ऊंचा करने वाली बात है। पुलिस पाठशाला लगाने में दिक्कतें भी कम नहीं आई। इनकी क्लास कभी पुलिस लाइन, ज़िला स्कूल, सैंडिस कम्पाउंड स्टेडियम तक में लगाई। मगर मकसद से नहीं डिगे।

आपको बता दें कि 2442 पदों के लिए 2019 में बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने आवेदन मांगे थे। जिसकी तमाम प्रक्रियाओं के बाद अंतिम नतीजे गुरुवार को आए हैं। जिनमें 755 दारोगा, 78 सार्जेंट, 45 सहायक जेल अधीक्षक पद पर महिला प्रतियोगियों का चयन हुआ है। इसी तरह 1524 पुरुष आवेदकों को सफल घोषित किया गया है। जिनमें 1307 दारोगा, 137 सार्जेंट और 90 सहायक जेल अधीक्षक होंगे। 40 पद भूतपूर्व सैनिक कोटे से भरे गए हैं।

डीआईजी सुजीत कुमार कहते हैं कि पुलिस पाठशाला दूसरे ज़िलों में भी एसपी रुचि लेकर शुरू करें तो बेहतर परिणाम मिलेंगे। और बिहार पुलिस की छबि में निखार आएगा। सामुदायिक पुलिसिंग के लिए भागलपुर मिसाल है। तत्कालीन एसएसपी आशीष भारती के निर्देश पर भागलपुर में शुरू किया गया रोको-टोको अभियान भी काफी सफल है। और डीजीपी ने पूरे राज्य में इसे लागू कराकर बताया कि भागलपुर बेमिसाल है।