बिहार में लोकप्रिय सुधा दूध का इस्तेमाल करने के बाद खाली पाउच लौटाने पर ग्राहकों को पैसे दिए जाएंगे। वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण के लिए इस तरह की योजना बनाई है। यह जल्‍द ही अमल में आ सकती है।

क्या है योजना:

वन विभाग के मुताबिक यदि एक लीटर वाला खाली पैकेट वापस किया जाता है तो ग्राहक को सुधा दूध की कीमत में एक रुपए का लाभ दिया जाएगा, मतलब कि अगर दूध का वास्तविक मूल्य 20 रुपया है तो पैकेट वापस करने के एवज में ग्राहक से 19 रुपए ही लिया जाएगा। इसी तरह आधे लीटर के पैकेट के एवज में 50 पैसे लौटाने की योजना है। अगर ग्राहक दूध नहीं लेना चाहता है तो उसे नकद पैसे‍ दिए जाएंगे। अब दूध के पैकेट पर दो दाम प्रिंट होंगे। एक दाम खाली पैकेट लौटाने वाले के लिए होगा और दूसरी कीमत वैसे ग्राहकों के लिए होगी जो पैकेट नहीं लौटाएंगे।

सुधा पैकेट जमा करने की अनूठी पहल

वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान मुख्य संरक्षक डीके शुक्ला ने कहा कि यदि यह योजना योजना लागू होती है तो सुधा दूध के पैकेट (पाउच) का संग्रह कराने वाला बिहार देश में पहला ऐसा राज्य बन जाएगा। इससे न सिर्फ खाली पैकेट वापस करने पर निर्धारित पैसे वापस होंगे, बल्कि नगर-निगम को भी इसका फायदा मिलेगा क्योंकि आमतौर पर पैकेट की वजह से नाले जाम हो जाते हैं जिससे लोगों को काफी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

सुधा डेयरी प्रतिदिन 9 लाख लीटर दूध का उत्पादन करती है। जिससे एक साल में तकरीबन 32 करोड़ 85 लाख पॉलीथिन की थैलियां मिलती हैं। जिसका वजन लगभग 14 हजार क्विंटल होगा। वन विभाग के मुताबिक 200 क्विंटल प्लास्टिक थैलियों का इस्तेमाल प्रतिवर्ष वृक्षारोपण के लिए होता है।