Bihar News: बिहार में पिछले तीन सालों में कम से कम 50 पुलिस स्टेशन हेड को या तो सस्पेंड किया गया है, या फिर उन्हें पुलिस लाइन भेजा गया। ये वो पुलिस वाले हैं, जो कि राज्य में शराब और रेत माफियाओं से निजी वाहन चालकों से रिश्वत लेते हैं। पुलिसवालों पर एक्शन की वजह यह है कि सरकारी पुलिस ड्राइवरों की भारी कमी है। ऐसे में बिहार पुलिस को निजी वाहनों का इस्तेमाल करना पड़ता है।
आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय द्वारा दायर जवाब से पता चला है कि कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल स्तर के 10,390 स्वीकृत ड्राइवर पदों में से केवल 3,488 पद ही भरे हुए हैं। यह तब है जब बिहार पुलिस के पास 9,465 वाहन हैं।
लगातार हुए हैं पुलिसवालों पर एक्शन
पिछले साल दिसंबर में बक्सर पुलिस ने अपने टाउन थाना प्रभारी संजय कुमार सिन्हा को पुलिस लाइन में भेज दिया था, क्योंकि एक वायरल वीडियो में उन्हें कथित तौर पर वाहनों से पैसे वसूलते हुए दिखाया गया था। कथित वीडियो में उन्हें एक निजी चालक द्वारा किराए पर ली गई निजी गाड़ी में देखा गया था।
आरोप हैं कि थाना प्रभारी ने वाहन मालिकों से वसूली करने में निजी चालकों के साथ मिलीभगत की थी। इस साल अप्रैल में मुजफ्फरपुर पुलिस ने रेत और शराब माफिया के साथ कथित मिलीभगत के लिए सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। इस मामले में भी निजी वाहन चालकों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।
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पुलिसवालों ने किया था निजी वाहनों का प्रयोग
इसी तरह भागलपुर में 27 थाना प्रभारियों ने ड्राइवरों के साथ निजी वाहन का उपयोग किया है, इसके बाद वैशाली थाना प्रभारियों ने 24, बक्सर थाना प्रभारियों ने 19 और मुंगेर थाना प्रभारियों ने 10 थाना प्रभारियों ने ड्राइवरों के साथ निजी वाहन का उपयोग किया है।
पूर्वी चंपारण (मोतिहारी) में दो पुलिस उपाधीक्षक और दरभंगा में एक पुलिस उपाधीक्षक भी निजी वाहन और ड्राइवरों का उपयोग कर रहे हैं, इसी प्रकार लखीसराय में चार सर्किल इंस्पेक्टर और बगहा और भागलपुर में एक सर्किल इंस्पेक्टर भी निजी वाहनों और ड्राइवरों का उपयोग कर रहे हैं।
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पुलिस अधिकारियों ने दी जानकारियां
इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार बिहार पुलिस ने फिलहाल 130 निजी वाहन किराए पर ले रखे हैं। सूत्रों के अनुसार, कई मामलों में इन निजी ड्राइवरों का पुलिस सत्यापन नहीं किया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, पुलिस चालक पदों को भरना “कभी-कभी प्राथमिकता नहीं रही है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि जिला पुलिस को अक्सर निजी चालकों के साथ निजी वाहन किराए पर लेने पड़ते हैं, जिनके आपराधिक इतिहास की अक्सर पुष्टि नहीं की जाती है। यहीं पर पुलिस अधिकारियों के इन चालकों के साथ मिलीभगत की संभावना होती है, जो संग्रह एजेंट के रूप में काम कर सकते हैं।
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि 2016 में बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से ही थाना प्रभारी जांच के घेरे में हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस थानों में काम करने वाले निजी ड्राइवर अक्सर भ्रष्टाचार के शिकार होते हैं। संपर्क करने पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “इन पदों (पुलिस ड्राइवरों) के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही विज्ञापन जारी किया जाएगा।