आए रोज जिले में हो रहे आपराधिक वाकयों से बौखलाई पुलिस सोमवार को दिनभर जहां तहां दो पहिए वाहन चेकिंग करती रही। हाथ तो कुछ नहीं आया। मगर लोग खामख्वाह परेशान हुए। सबसे दिक्कत और आपत्ति की बात यह रही कि चेकिंग के नाम पर वाहन सवारों की जामा तलाशी भी ली गई। यह किस आदेश के तहत हो रहा था समझ से परे है। मगर पुलिसियों को कोई रोकने वाला नहीं था। वाहनों के कागजात , हेलमेट या और कोई कागजात की जांच तो एक हद तक लाजमी है। मगर चेकिंग के नाम पर वाहनों पर सवार लोगों की उनके सामान की जामा तलाशी का मायने किसी की समझ में नहीं आ रहा। और इस मुद्दे पर आलाधिकारी भी मौन है।
दरअसल भागलपुर में हाल के दिनों में हत्या , लूट व जहां तहां दहशत पैदा करने के लिए हो रही बमबाजी से पुलिस भी बौखला गई है। बीते साल अपराध में बेतहाशा बढ़ोतरी की वजह से खुफिया महकमा के एडीजी विनय कुमार पटना में समीक्षा करेंगे। सूत्र बताते है कि इसके लिए 5 फरवरी मुकर्रर की है। एसएसपी को तलब किया है।
बीती 23 तारीख को ट्रेक्टर शो रूम के बैंक में रुपए जमा कराने जाते कर्मचारी पंकज कुमार को बदमाशों ने गोली मार साढ़े दस लाख रुपए छीन कर चंपत हो गए थे। यह वाकया एसएसपी आवास के नजदीक और दिनदहाड़े हुआ था। एसएसपी भी मौके पर पुलिस बल के साथ पहुंचे थे। लुटरों की तस्वीर सीसीटीवी में कैद होने और इसी आधार पर जल्द गिरफ्तार कर लेने का दावा किया था। मगर घटना के छह रोज बाद भी पुलिस लुटरों को नहीं ढूंढ पाई है।
यह दीगर है कि भागलपुर में आईजी सुशील खोपड़े , डीआइजी विकास वैभव जैसे तेज तर्रार पुलिस अधिकारी बैठते है। एसएसपी मनोज कुमार छोटे से छोटे वाकए की निगरानी ही नहीं बल्कि अपने मातहत की खैरियत लेने आधी रात को गश्त लगाते है। बाबजूद गुंडे अपना काम कर नो दो ग्यारह होने में कामयाब है। बेशक दुपहिए वाहनों की चेकिंग अपराधियों को दबोचने और अपराध पर काबू करने का हिस्सा हो सकता है। मगर हरेक की जामा तलाशी किसी भी हालत में सराहनीय नहीं है। ऐसा सभी बोल रहे है।

