बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि, इससे पहले ही जिस विपक्ष को भाजपा और जदयू का सामना करने के लिए एकजुट माना जा रहा था, अब उसी में दरारें दिखने लगी हैं। चुनाव के मद्देनजर विपक्षी गठबंधन की ताकत परखने के लिए बुधवार को पहली बैठक बुलाई गई। सूत्रों का कहना है कि इसके जरिए यह तय करने की कोशिश हो रही थी कि हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा पार्टी के अध्यक्ष जीतनराम मांझी राज्य सरकार के खिलाफ विपक्ष के साथ हैं या नहीं। मांझी ने मीटिंग में पहुंचकर कुछ हद तक भाजपा-जदयू के साथ जाने की अटकलों पर विराम लगाया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि जिस राजद को बिहार में विपक्ष का नेतृत्वकर्ता माना जा रहा है, उसी के नेता तेजस्वी यादव मीटिंग में नहीं पहुंचे।
सूत्रों के मुताबिक, पूरी मीटिंग के दौरान विपक्ष में टकराव साफ नजर आऐया। कुछ नेताओं ने इस समय पर बैठक बुलाने पर ही सवाल उठा दिए। बिहार के एक कांग्रेसी नेता ने अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ को फोन पर बताया कि जीतनराम मांझी बस डिपार्चर लाउंज में ही हैं (यानी पार्टी से निकलने की फिराक में) और हम अपनी योजनाएं अभी से उनके साथ साझा कर रहे हैं। हमारी राजनीतिक समझ इतनी नीचे चली गई है।
जीतनराम मांझी ने विपक्ष की मीटिंग में पहुंचकर भाजपा-जदयू के साथ जाने की कुछ अटकलों को तो रोका है, लेकिन उनके साथी इसे लेकर शक जता रहे हैं। उनका यह शक बैठक के बाद इसलिए और गहरा गया, क्योंकि मांझी यहां भी बड़ी विपक्षी पार्टियों को घमंड और एकपक्षीय बताने से नहीं चूके।
अपने पिता लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी में राजद का चेहरा माने जा रहे तेजस्वी प्रसाद यादव का मीटिंग में न पहुंचना भी बाकी नेताओं के लिए चकित करने वाला रहा। हालांकि, माना जा रहा है कि वे पार्टी के विधानपरिषद के विधायकों के अचानक पार्टी छोड़कर जाने से खुद सकते में आ गए हैं। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने जीतनराम मांझी को जवाब नहीं दिया।