बिहार में शराबबंदी लागू होने के बावजूद बड़ी मात्रा में अवैध शराब की तस्करी की जाती है। शराब तस्कर राज्य में चोरी-छिपे शराब की खरीद-बिक्री करने के ऐसे-ऐसे तरीके निकालते हैं कि देखने वाले भी हैरत में पड़ जाते हैं। ऐसा ही एक और मामला सामने आया है जिसमें तस्कर ट्रेन के एसी में शराब छुपा कर ले जा रहे हैं।

सोशल मीडिया पर एक यूजर द्वारा शेयर किए गए इस वीडियो में लखनऊ-बरौनी एक्सप्रेस के एसी कोच में यात्रियों ने कम कूलिंग की शिकायत की। जब टेक्नीशियनों ने एसी डक्ट की जांच की तो वहां अवैध शराब की खेप छिपाई गई थी। जिसके बाद रेलवे पुलिस ने शराब को अपने कब्जे में ले लिया।

बिहार में अवैध शराब तस्करी से जुड़े मामले में ED की कार्रवाई

इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को बिहार में अवैध शराब तस्करी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की। ईडी ने बिहार समेत चार राज्यों में कुल सात जगहों पर छापे मारे। अधिकारियों के मुताबिक, यह कार्रवाई अवैध शराब कारोबार से जुड़े मुख्य आरोपी सुनील भारद्वाज से संबंधित ठिकानों पर की गई। ईडी ने बताया कि सुनील भारद्वाज इस नेटवर्क का मुख्य सरगना है और उसके जरिए बड़े पैमाने पर अवैध शराब की आपूर्ति और मनी लॉन्ड्रिंग का जाल फैला हुआ है।

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बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बीच पुलिस लगातार तस्करों के खिलाफ अभियान चलाती रहती है। इस बीच शराब तस्करों को पकड़ने के बाद छोड़ देने के आरोप में हाल ही में पुलिस वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गयी है। अब वे अगले 10 सालों के लिए थानाध्यक्ष नहीं बन पाएंगे। हाल ही में, बिहार के सुल्तानगंज थाने में तैनात दो दारोगा आफताब आलम और बिट्टू कुमार को शराब तस्कर को पकड़ने के बाद छोड़ देने के आरोप में लाइन हाजिर किया गया है। इसके साथ ही शराब तस्करों से संपर्क रखने और शराब तस्करी में सहयोग करने के आरोप में इन दोनों को अगले 10 सालों के लिए थानाध्यक्ष के पद से वंचित कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों ने 25 हजार रुपये लेने के बाद एक शराब तस्कर को छोड़ दिया था। पढ़ें- गुजरात के लोग बिहार के वोटर बन रहे हैं