बिहार चुनाव के रुझानों में एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि एग्जिट पोल्स के उलट महागठबंधन उम्मीदों से पीछे दिख रहा है। अब तक एनडीए करीब 125 सीटों पर आगे चल रहा है, जबकि महागठबंधन 112 सीटों पर ही बढ़त बनाए हुए है। हालांकि इसमें दिलचस्प बात यह है कि एनडीए में बीजेपी अब ‘बड़े भाई’ की भूमिका में सामने आई है। इस चुनाव के चलते राज्य की राजनीति में कई समीकरण अब पूरी तरह से बदल गए हैं। आइए जानते हैं, बिहार चुनाव के नतीजों के चलते राज्य में बदल सकते हैं कौन से 10 समीकरण…
सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी: अब तक बीजेपी राज्य में जेडीयू के साथ मिलकर जूनियर पार्टनर के तौर पर ही चुनाव लड़ती रही है, लेकिन इस बार भगवा दल 74 सीटों पर जीत दर्ज करता दिख रहा है। यदि ऐसा होता है तो बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। आरजेडी 73 सीटों पर बढ़त के साथ दूसरे नंबर पर है, जबकि जेडीयू 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर जाती दिख रही है। यही नहीं बीते चुनाव में 27 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 20 सीटों पर ही आगे चल रही है। हालांकि लेफ्ट पार्टियों ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन करते हुए 18 सीटों पर बढ़त कायम की है।
एनडीए के बदल जाएंगे समीकरण: बीजेपी का सबसे बड़ी पार्टी बनना सिर्फ राज्य की राजनीति को ही नहीं बदलेगा बल्कि एनडीए के समीकरण भी बदल जाएंगे। सबसे ज्यादा सीटें हासिल करने के चलते बिहार में बीजेपी जेडीयू के मुकाबले सीनियर पार्टनर हो जाएगी।
कांग्रेस, जेडीयू के चलते सहयोगियों को नुकसान: एनडीए गठबंधन में जेडीयू का कमजोर प्रदर्शन बीजेपी के लिए चिंता कारण बना है, जबकि 70 सीटों पर चुनाव लड़कर महज 20 पर ही बढ़त हासिल करने वाली कांग्रेस ने आरजेडी को बड़ी चोट पहुंचाई है। विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस को इतनी ज्यादा सीटें देना आरजेडी को भारी पड़ा है।
एलजेपी ने बिगाड़ दिया खेल: चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी ने ज्यादातर सीटों पर जेडीयू कैंडिडेट्स के मुकाबले ही चुनाव लड़ा है। बीजेपी के सामने एलजेपी ने कम कैंडिडेट दिए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि एलजेपी के चलते जेडीयू को ही सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
लेफ्ट पार्टियों की वापसी: बीते कई चुनावों से अप्रासंगिक हो चुकीं लेफ्ट पार्टियों ने बिहार में अच्छी वापसी की है। सिर्फ 29 सीटों पर लड़कर 18 सीटों पर बढ़त हासिल कर लेफ्ट पार्टियों ने संकेत दिया है कि अभी उनकी राजनीति का दौर बिहार में समाप्त नहीं हुआ है।
गलत साबित हुए एग्जिट पोल्स: सभी एग्जिट पोल्स ने बिहार चुनाव में आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत का अनुमान लगाया था। हालांकि रुझानों में बिलकुल उलटे आंकड़े देखने को मिले हैं। यदि यह रुझान सही साबित होते हैं तो एग्जिट पोल्स की सटीकता पर सवाल उठेंगे।
मुस्लिम वोटों का हुआ बंटवारा: बीजेपी ने सीमांचल और मिथलांचल जैसे क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है। खासतौर पर 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में बीजेपी की बढ़त से यह स्पष्ट हुआ है कि राज्य में मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ है।
बिहार में अब भी कमजोर है कांग्रेस: लंबे समय से बिहार और यूपी जैसे राज्यों की सत्ता से बाहर कांग्रेस को सिर्फ 20 सीटें मिलने से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय पार्टी की बिहार में भूमिका लगातार सिमट रही है।
बीजेपी और मोदी अब भी मजबूत: बिहार चुनाव के अलावा यूपी, गुजरात और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के विधानसभा उपचुनावों में बीजेपी को बढ़त मिली है। इससे साफ है कि पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी का जलवा अब भी कायम है।
बाहुबलियों का बल है कायम: आरजेडी कैंडिडेट अनंत कुमार सिंह जेल में बंद हैं और बड़े अंतर से जीत हासिल की है। इसके अलावा एक और बाहुबली रीतलाल भी आगे चल रहे हैं। साफ है कि बिहार की राजनीति में अब भी बाहुबली नेताओं की ताकत बनी हुई है।