बिहार चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी ने एनडीए से अलग होने का ऐलान किया है। जिसके बाद अब पार्टी अकेले दम पर बिहार चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने जदयू के साथ जारी वैचारिक मतभेद के चलते यह फैसला किया है। पार्टी नेता चिराग पासवान की अध्यक्षता में लोजपा की संसदीय समिति की बैठक दिल्ली में हुई। इसी बैठक में लोजपा ने अकेले दम पर बिहार चुनाव में उतरने का फैसला किया।

बैठक के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में लोजपा ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर और लोकसभा चुनाव में लोजपा का भाजपा के साथ मजबूत गठबंधन है लेकिन राजकीय स्तर पर व विधानसभा चुनाव में गठबंधन में मौजूद जदयू के साथ जारी वैचारिक मतभेद के चलते गठबंधन से अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है। लोजपा ने कहा है कि कई सीटों पर जदयू के साथ वैचारिक लड़ाई हो सकती है ताकि उन सीटों पर जनता फैसला कर सके कि कौन सा प्रत्याशी बिहार के हित के लिए बेहतर है।

लोजपा ने साफ कर दिया है कि वह बिहार चुनाव भले ही अकेले लड़ रही है लेकिन चुनाव बाद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। लोजपा ने कहा है कि केन्द्र की तर्ज पर बिहार में भी भाजपा के नेतृत्व में सरकार बननी चाहिए। लोजपा का हर विधायक भाजपा के नेतृत्व में बिहार को फर्स्ट बनाने का काम करेगा।

वहीं लोजपा के बिहार चुनाव में अकेले लड़ने के फैसले पर जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि 2005 और 2010 में भाजपा-जदयू ने मजबूती से चुनाव लड़ा था, बेहतर रिजल्ट भी आया था उसी तर्ज पर 2020 में भी चुनाव परिणाम आएगा।

बता दें कि लोजपा नेता चिराग पासवान पहले से ही कहते आ रहे हैं कि उनका भाजपा के साथ कोई मतभेद नहीं है लेकिन वह बिहार की नीतीश सरकार के खिलाफ खासे हमलावर रहे। पासवान ने नीतीश सरकार पर दलितों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया था। हालांकि भाजपा द्वारा लगातार कहा जा रहा था कि एनडीए मजबूत है और उसमें कोई मनमुटाव नहीं है।

लोजपा पहले भी इस तरह के संकेत दे चुकी थी कि वह एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ सकती है। पार्टी के नेताओं ने कहा भी था कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि लोजपा 143 सीटों पर चुनाव लड़े। हालांकि शीर्ष नेतृत्व की तरफ से इस पूरे मामले पर चुप्पी साधी गई थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से खबरें आ रहीं थी कि एनडीए में लोजपा को 27 सीटों का ऑफर दिया गया था। पार्टी दी गई सीटों को लेकर खुश नहीं थी। यही वजह थी कि भाजपा नेतृत्व के साथ लोजपा नेताओं की कई बैठकें हुई लेकिन बात नहीं बनने के बाद आखिरकार लोजपा ने अलग चुनाव लड़ने का बड़ा फैसला किया है।