अगले हफ्ते शुरू होने वाले बिहार चुनाव को लेकर प्रचार अभियान अपने चरम पर है। राजनीतिक पार्टियां लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। इसी बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के युवा नेता कन्हैया कुमार ने कवि दुष्यंत कुमार की एक कविता शेयर करते हुए अपने प्रचार का आगाज किया है। साथ ही उन्होने राज्य के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार पर तंज़ कसा है।
कन्हैया ने अपने चुनाव प्रचार की कुछ तस्वीरें शेयर कर लिखा “कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं, अब तो इस तालाब का पानी बदल दो, ये कँवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं -दुष्यंत कुमार” इसके अलावा कन्हैया ने एक वीडियो भी शेयर किया है जिसमे वे बदलाव की बात कर रहे हैं। कन्हैया ने कहा “चुनाव के बाद विधायक को एक रिसोर्ट से दूसरे रिसोर्ट लेकर भागते हैं। इसी से लोकतंत्र को बचना है।”
कन्हैया ने नीतीश को बीजेपी की ‘स्टेपनी’ कहा है। सीपीआई नेता ने कहा है कि ये युवाओं का चुनाव नहीं बल्कि बदलाव का चुनाव है। बिहार की जनता ने मन बना दिया है कि बदलाव करना है। कन्हैया ने कहा “नीतीश कुमार के खिलाफ कभी मैं अनर्गल बात नहीं करता हूं। सीएम नीतीश समाजवादी स्कूल से निकले हैं। नीतीश की स्टेपनी बीजेपी थी, अब बीजेपी ने नीतीश को स्टेपनी बना ली है।
स्टार प्रचारक और बेगूसराय तक सीमित होने के मुद्दे पर कन्हैया कुमार ने कहा, ‘कालिदास ने लिखा है कि बेमौसम का फूल अच्छा नहीं लगता। हम सीजन वाली सब्जी नहीं है। सीजन के जो फूल है जो स्टार प्रचारक बनते हैं वह बने। मैं अपने संसाधनों से और इस स्कॉर्पियो से क्या बिहार को नाप सकता हूं? नहीं न… इसलिए मैं बेगूसराय और आसपास के इलाकों में प्रचार कर रहा हूं।’
चुनाव नहीं लड़ने पर कन्हैया कुमार ने कहा कि जो पार्टी कहेगी वही करेंगे। पार्टी कहेगी कि दरी बिछाएंगे तो वही करूंगा। महागठबंधन में शामिल होने पर कन्हैया ने कहा कि राजनीति में नीति सबसे महत्वपूर्ण है। सवाल नेता का नहीं नीति का है। सवाल चेहरा का नहीं नियत का है। सवाल चेहरे से ज्यादा चरित्र का है। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता है। एक समूह की जरूरत होती है। एक टीम की जरूरत होगी।
