इस महीने के आखिरी में बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान होने हैं। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (JDU) से अधिक सीट जीतने की फिराक में है। पार्टी ने विकासशील इंसां पार्टी (VIP) को 11 सीटों दी हैं। इसी के साथ बीजेपी के कोटे में 110 सीटें बची हैं। वहीं जेडीयू के पास 115 सीटें हैं। बीजेपी ने ऐसा वीआईपी के वोट बैंक को देखते हुए किया है।
बॉलीवुड में भी हाथ आजमा चुके वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी का राजनीतिक इतिहास बहुत लंबा नहीं है। वे दो साल पहले ही राजनीति में आए हैं। वो निषाद (मल्लाह) समुदाय से आते हैं और बिहार में अच्छी खासी आबादी है। इसीलिए सहनी खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहते हैं। पार्टी ने दावा किया है कि उत्तर बिहार के नदी तटों पर रहने वाले नाविकों और मछुआरों में उनकी अच्छी पकड़ है।
बिहार में निषाद वोटों की ताकत का अनुमान लगाने के लिए हाल का कोई आधिकारिक डेटा नहीं है। समुदाय में कई उप-समूह हैं और वीआईपी ने लगभग 10% वोटों पर कमांड का दावा किया है। हालांकि, विभिन्न राजनीतिक दलों के अनुमान 6-7% हैं।
इस चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुक़ाबला देखने को मिलेगा। ऐसे में इस तरह का वोट बैंक कुछ सीटों में प्रभाव डालता है। निषाद वोटों को मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, खगड़िया, वैशाली और अन्य उत्तर बिहार जिलों में प्रभावशाली बताया जाता है। इस बेल्ट में निषादों का वोट शेयर 6% से अधिक बताया जाता है।
जेपी आंदोलन के दौर में निषाद मतदाताओं ने सामाजिक न्याय दलों के साथ पारंपरिक रूप से गठबंधन किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद ने भाजपा में जाने से पहले कई बार राजद और जेडीयू के टिकट पर मुजफ्फरपुर से चुनाव लड़ा है। जय नारायण का 2018 में निधन हो गया।
जय नारायण के बेटे अजय निषाद ने 2019 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की है। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान वीआईपी महागठबंधन का हिस्सा थी और उन्हें बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भी बीजेपी ने उन्हें इस चुनाव में 11 सीटें दी हैं।
2019 में वीआइपी ने मुजफ्फरपुर, खगड़िया और मधुबनी से चुनाव लड़ा था। तब सुहानी खगड़िया से खड़े हुए थे और वे एलजेपी के हबूब अली कैसर से 2.5 लाख वोटों के अंतर से हार गए थे। आरजेडी का वोट बैंक साथ होने के बावजूद सहानी को केवल 27% वोट मिले थे। इतने ही वोट आरजेडी को 2014 के चुनाव में मिले थे।