बिहार का शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। कभी स्कूलों में छुट्टियों के समय को लेकर तो कभी किसी और चीजों को लेकर। शिक्षा विभाग की एक बार फिर से चर्चा हो रही है। दरअसल, बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कुलपतियों की सैलरी रोक दी। इसके बाद राजभवन एक्शन में आ गया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कुलपतियों की मीटिंग बुलाई थी। अपर मुख्य सचिव ने गुरुवार को राज्य के सभी वीसी को मीटिंग में बुलाया था। इन लोगों के नहीं आने पर इनकी सैलरी रोक दी गई। इसके बाद उन्हें नोटिस भी दिया गया है।
इस मीटिंग में भाग लेने के लिए केवल दो विश्वविद्यालयों ने ही अपने प्रतिनिधियों को भेजा था। बिहार के शिक्षा सचिव वैद्यनाथ यादव ने संस्कृत विश्वविद्यालय को छोड़कर सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, रजिस्ट्रारों को एक पत्र लिखकर उनसे यह बताने को कहा कि उन्होंने शैक्षणिक सत्र में भाग क्यों नहीं लिया। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि अगले आदेश तक सभी का वेतन रोक लिया जाए।
शिक्षा सचिव बोले- अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकते
शिक्षा सचिव ने अपने पत्र में कहा कि बिहार परीक्षा संचालन अधिनियम, 1981 के प्रावधानों में साफ कहा गया है कि कोई भी अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से मुंह नहीं मोड़ सकता है। उसे कानून के तहत दंडित किया जा सकता है। शिक्षा सचिव ने आगे कहा कि समय पर पेपर आयोजित ना करवाना भी आईपीसी की धारा 166 और 166 ए के प्रावधानों के तहत दंडनीय है। शिक्षा सचिव ने कुलपतियों और अन्य अधिकारियों से यह भी जानना चाहा कि 28 फरवरी को हुई मीटिंग में शामिल ना होने, रिपोर्ट जमा नहीं करने और शिक्षा विभाग को जानकारी नहीं देने के लिए आईपीसी की धाराओं के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चौंगथु ने सभी कुलपतियों को लेटर भेजकर 3 मार्च को बैठक के लिए बुलाया है। सभी कुलपतियों को मीटिंग में मौजूद रहने को कहा गया है।