बिहार में पटना सिटी निवासी सरवर अली (48) कोरोना संक्रमित हैं और खुद को जिंदा रखने के लिए उन्हें निजी स्वास्थ्य संस्थान में भारी फीस देने पड़ रही है। सरवर अली को 30 जुलाई को कोविड-19 की पुष्टि होने के बाद निजी नर्सिंग होम में लाइफ सपोर्ट सिस्टम के लिए परिजनों को लिए प्रतिदिन पचास हजार रुपए का भुगतान खासा मुश्किल है। उनके भतीजे अंबर अली कहते हैं, ‘पटना एम्स ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया। कहा गया कि रैपिड एंटीजन डिटेक्शन (RAD) टेस्ट रिपोर्ट मान्य नहीं है।’
अंबर अली के मुताबिक उनके चाचा को अधिकारियों ने अंदर जाने से इनकार कर दिया और एम्स के बाहर चार घंटों तक एक निजी एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सपोर्ट पर इंतजार करना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘जब तक हम उन्हें कंकरबाग के 99 फीट बायपास रोड पर स्थित एक निजी क्लीनिक में ले गए उनकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी। यहां उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। डॉक्टरों द्वारा प्लाज्मा थेरेपी बताने पर हमने दानदाताओं के लिए करीब 350 फोन कोल किए। प्लाज्मा के लिए उन्होंने एक ब्लड बैंक से दूसरे ब्लड बैंक के चक्कर काटे, मगर कुछ फायदा नहीं हुआ।’
अंबर ने निजी सुविधाओं में उपचार की लागत को कम नहीं करने के लिए राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मेरे चाचा ना खा रहे हैं और ना ही बात कर रहे हैं, उनकी हालत बहुत गंभीर बनी हुई है। बता दें कि बिहार में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 3934 नए मामले सामने आए हैं। इसके बाद राज्य में कोरोना मरीजों की कुल संख्या बढ़कर 79,720 हो गई है। इसके अलावा राज्य में 10 नई मौतों के साथ मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 429 पहुंच गया है।
इधर भारत में कोरोना वायरस महामारी फैलने की दर लगातार तेजी से बढ़ रही है। सोमवार (10 अगस्त, 2020) को भी देश में लगातार चौथे दिन 60 हजार से ज्यादा मामलों की पुष्टि हुई।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले चौबीस घंटे में भारत में कोविड-19 के 62,064 नए मामलों की पुष्टि हुई और 1,007 लोगों की मौत हो गई। नए केस के साथ देश में अब संक्रमितों की संख्या 22,15,075 हो गई है। इनमें 6,34,945 एक्टिव केस हैं और 15,35,744 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है। भारत में कोरोना से अब तक 44,386 लोगों की मौत हो चुकी है।