केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) इस बात पर विचार-विमर्श कर रही है कि बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की पेशकश को स्वीकार किया जाए या फिर 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की अपनी योजना पर आगे बढ़ा जाए। एलजेपी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता लगातार दबाव बना रहे हैं कि चुनावी मैदान में अकेले ही उतरा जाए। हालांकि चिराग पासवान द्वारा जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार की कड़ी आलोचना के बाद भी एलजेपी के गठबंधन में बने रहने की संभावना बनी हुई है।

सूत्रों के मुताबिक भगवा पार्टी ने एलजेपी को गठबंधन में बने रहने के लिए 27 सीटों और दो एमएलसी सीटों का प्रस्ताव दिया है। इधर एलजेपी के कई नेता लगातार जोर दे रहे हैं कि पार्टी विधानसभा चुनाव में 143 सीटों पर चुनाव लड़े। वैशाली से एलजेपी सांसद वीना देवी ने कहा कि हालांकि हम पार्टी अध्यक्ष के किसी भी निर्णय का पूरा समर्थन करेंगे मगर पार्टी कार्यकर्ता चाहते हैं कि हम 143 सीटों पर चुनाव लड़ें।

एलजेपी प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि हमारे 143 उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार है। अब आखिरी फैसला पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान को लेना है। उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा के प्रस्ताव पर चर्चा की और अब अंतिम निर्णय लेने का समय है। चिराग पासवान ने मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।

हालांकि एलजेपी के बुधवार तक किसी फैसले पर पहुंचने में देरी की संभावना है क्योंकि पार्टी संरक्षक रामविलास पासवान को शल्य चिकित्सा की प्रक्रिया से गुजरना है। तीन चरणों में होने वाले चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन की प्रक्रिया एक अक्टूबर से शुरू होने जा रही है।

उल्लेखनीय है कि साल 2015 में हुए पिछले चुनाव में एलजेपी ने 42 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से दो सीटों पर उसे जीत मिली थी। उस समय जेडीयू महागठबंधन की साझेदार थी, जिसने एनडीए को बुरी तरह हरा दिया था।

सूत्रों ने कहा कि एलजेपी नेता इस बात से नाराज हैं कि पार्टी जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है, उन सीटों की पेशकश उसे नहीं की गई है। इधर एलजेपी ने उन खबरों को भी खारिज किया कि उसके छह लोकसभा सांसदों में से कुछ सांसद विधानसभा चुनाव में पार्टी के राजग से बाहर आने के खिलाफ हैं।