वाराणसी के बीएचयू हॉस्पीटल (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) में 20 डॉक्टरों की टीम ने चार दिन की जुड़वा बच्चियों को ऑपरेशन कर अलग कर दिया। बता दें कि ये दोनों बहनें जन्मजात से ही सीने से लेकर पेट तक टाक लिवर के कॉमन हिस्से से जुड़ी हुई थीं। इन बच्चियों को क्रिटिकल हालात में गाजीपुर के एक प्राइवेट नर्सिंग होम से लाकर यहां एडमिट किया गया था।
क्या थी बीमारी
बीएचयू शल्य विभाग के डॉक्टर वैभव पांडेय ने बताया कि दोनों बहनों के कॉनजॉइन्ड ट्विन्स बीमारी थी। जो करीब दस लाख बच्चों में से किसी एक को होती है। वैभव ने आगे बताया कि दोनों बहनों का चेस्ट और लिवर का एक हिस्सा आपस में जुड़ा हुआ था। हमने बच्चियों का टेस्ट करके रेडियोलॉजी, एनेस्थीसिया और ओटी एक्सपर्ट की दो टीमें बनाईं। दो मॉनिटर के साथ सभी जरूरत की चीजें जैसे ब्लड वगैरह सभी का डबल इंतजाम किया गया था क्योंकि ऐसे ऑपरेशन में लिवर से काफी ब्लीडिंग होती है।
दोनों बच्चियां हैं सुरक्षित
वैभव ने बताया कि बहुत ही सावधानी के साथ लिवर के कॉमन हिस्से को अलग अलग करके दोनों बच्चियों का बचा लिया गया। अच्छी बात ये थी कि दोनों बच्चियों के सारे पार्ट्स जैसे हार्ट, लिवर वगैरह अलग अलग थे। लेकिन अगर हार्ट वगैरह सिर्फ एक होता तो दोनों में से सिर्फ एक ही बच्ची बच पाती। इसके साथ ही दोनों बच्चों को एक साथ बेहोश करना भी बड़ा चैलेंज था।
कितना आता है खर्च
बता दें कि इन बच्चियों के पिता राजेश एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और इस ऑपरेशन से काफी खुश दिखे। उन्होंने डॉक्टरों का धन्यवाद दिया। गौरतलब है कि ऐसे ऑपरेशन्स में करीब 5-6 लाख का खर्चा आता है लेकिन हॉस्पीटल ने ये ऑपरेशन पूरी तरह से निशुल्क किया।