भोपाल के बालिका गृह से जब से 26 लड़कियों के गायब होने की खबर आई, पूरा प्रशासन हिल गया। पुलिस महकमे में भी सियासी भूचाल आ गया और देखते ही देखते मामला काफी बड़ा बन गया। अब बताया जा रहा है कि इस मामले में जो 26 बच्चियां गायब बताई गई थीं, उनमें से 12 तो अपने ही घर पर मिल गई हैं। बाकी बची बच्चियों की तलाश भी पुलिस कर रही है। लेकिन मामले की गंभीरता को समझते हुए दो अधिकारियों पर गाज गिर गई है।

बताया जा रहा है कि लापरवाही बरतने केलिए सीडीपीओ बृजेंद्र प्रताप सिंह और सीडीपीऔ कोमल उपाध्याय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं दो और अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। अब इस पूरे मामले में सबसे बड़ी लापरवाही तो ये है कि ये बाल गृह अपने रिकॉर्ड मैंटेन नहीं कर रहा था। बच्चियों को रेस्क्यू कर तो लाया जा रहा था, लेकिन सीडब्लूसी को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। हैरानी की बात ये रही कि कुछ लड़कियों के बाल गृह में सिर्फ फॉर्म मिले, लेकिन वे वहां मौजूद ही नहीं थीं।

इस मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल आयोग भी सक्रिय हो गया है। राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने मध्य प्रदेश की मुख्य सचिव वीरा राणा को पत्र भी लिखा है। भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में यह बालिका गृह चलाया जा रहा था और अवैध रूप से इसका संचालन किया जा रहा था।

जानकारी के लिए बता दें कि जिस बालिका गृह से बच्चियां गायब हुई है, उसका नाम आंचल बालिका छात्रावास है। प्रियांक कानूनगो ने अचानक छात्रावास का दौरा किया था और जब उन्होंने रजिस्टर चेक किया तो उसमे 68 बच्चियों की एंट्री थी लेकिन उनमें से 26 गायब थी। उन्होंने चिल्ड्रन होम के संचालक अनिल मैथ्यू से इसके संबंध में बात की लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया।मामले की सूचना पुलिस को दे दी गई है।