महाराष्ट्र पुलिस ने दो दिन पहले छापेमारी के दौरान एक पत्र बरामद होने का दावा किया था, जिसमें मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का कश्मीरी पंडितों के साथ कथित तौर पर संबंध होने का जिक्र है। बगैर तारीख के और हिन्दी में इस पत्र को किसी ‘‘कॉमरेड सुधा’’ ने किसी ‘‘कॉमरेड प्रकाश’’ नाम के व्यक्ति को लिखा है। इसमें आतंरिक हिस्से में काम करने वाले ‘कॉमरेडों’ को वित्तीय मदद के बारे में जिक्र किया गया है। पुणे पुलिस ने मंगलवार को विभिन्न राज्यों में नौ स्थानों पर छापा मारा था और माओवादियों से संबंध रखने के संबंध में नवलखा सहित पांच वामपंथी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। विशेष सरकारी वकील उज्जवल पवार ने कल पुणे की अदालत को बताया था कि पुलिस ने कुछ पत्र बरामद किए हैं, जिससे यह प्रर्दिशत होता है कि माओवादियों और जम्मू कश्मीर में संचालित हो रहे कुछ संगठनों सहित अन्य प्रतिबंधित संगठनों के बीच तार जुड़ा हुआ है।
पत्र की एक प्रति पीटीआई के पास है। इसमें कहा गया है, ‘‘कॉमरेड अंकित और कॉमरेड गौतम नवलखा कश्मीरी अलगाववादियों से संपर्क में हैं।’’ हालांकि, पत्र से यह स्पष्ट नहीं है कि ‘‘सुधा’’, ‘‘प्रकाश’’ या ‘‘अंकित’’ कौन लोग हैं। इसमें कहा गया है , ‘‘साईबाबा के जेल जाने के बाद शहरी कैडर में डर की भावना व्याप्त है। इस डर को कम करने के लिए आंतरिक हिस्से में काम कर रहे कॉमरेड को उसी तर्ज पर वित्तीय मदद देने की जरूरत है जिस तरह से कश्मीरी अलगावादियों द्वारा पत्थरबाजों को मुहैया किया जाता है।’’ पत्र में कहा गया है कि इस तरह की मदद कॉमरेड को किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए मानसिक रूप से मजबूत बनाएगी।
पत्र में यह भी कहा गया है कि कॉमरेड प्रकाश ने पैलेट गन के उपयोग से जुड़े एक मामले में विधिक सहायता के लिए परामर्श लिया होगा। यह मामला उच्चतम न्यायालय में है।
पत्र लिखने वाले ने कश्मीर घाटी में दुश्मन द्वारा मानवाधिकारों के हनन के वीडियो सोशल और अन्य मीडिया पर प्रसारित करने की जरूरत के बारे में बातें कही है।