भारत बंद कल (दो अप्रैल) था। जगह-जगह हिंसा हो रही थी। दलित प्रदर्शनकारी सड़क पर थे। आगजनी और तोड़फोड़ कर रहे थे। पंजाब में भी इसी को लेकर छुटपुट प्रदर्शन देखने को मिले। अंबाला में लोगों ने हाईवे जाम कर रखा था। अचानक यहां एक बुजुर्ग सिख पहुंचा और अकेला ही भीड़ से भिड़ गया। वह साथ में तलवार भी लिए हुए थे, जिसे निकालते हुए बोला, “जो बोले सो निहाल। मैं आजाद हूं। किसी का गुलाम नहीं।”
आपको बता दें एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया गया था। दलित संगठन देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। मगर पंजाब में एक भी हिंसा की घटना देखने को नहीं मिली। वह भी तब, जब राज्य में दलितों की अच्छी-खासी संख्या है। भारत बंद के मद्देनजर राज्य में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने खुद सुरक्षा का जायजा लिया था।
अंबाला में सोमवार को हाईवे का चक्का जाम किया गया था। वाहनों की लंबी कतार लग गई थी। बीच में एक निहंग सिख बुजुर्ग भी इसी जाम में फंसा था। वह अपनी बीवी के साथ कार में था।
प्रदर्शनकारियों से वह आगे जाने के लिए कह रहा था। मगर भीड़ ने उसे और उसकी पत्नी को वहीं रोका। प्रदर्शनकारियों के कहने पर वह रुक गया। सिख से वापस लौटने के लिए कहा गया तो वह जरूरी काम की बात कह कर दरख्वास्त करने लगा। इसी बीच प्रदर्शनकारियों में से किसी ने उसे गाली दे दी, जिस पर वह अपना आपा खो बैठा।
कार से तलवार निकालते हुए बोला, “आजाद देश का मैं आजाद बंदा हूं। मैं किसी का गुलाम नहीं हूं। जिससे शिकायत करनी है, कर लो जाकर।” वहीं, निहंग सिख की बीवी भी हाथ जोड़ कर लोगों से दरख्वास्त रही थी, “आप लोगों (प्रदर्शनकारियों) ने रास्ता क्यों जाम कर रखा है? रास्ता जाम कर के कुछ नहीं मिलेगा।”