कोरोना काल में घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए गए लोगों के साथ घाट राजा की मनमानी का दुखद पहलू भागलपुर से उभरकर सामने आया है। मृतक बैंक प्रबंघक की पत्नी ने जाते-जाते कहा कि एक तो मेरा सब कुछ लूट गया। दूसरा पैसों के लिए दुष्टों ने मुखग्नि देने से रोक दिया। यह बड़ा पाप किया। जिसका हिसाब ईश्वर को देना होगा।
इसी तरह श्मसान घाट लाशों का अंतिम संस्कार करने जाने वालों को जलालत के साथ हुज्जत का सामना करना पड़ता है। कोरोना काल के पहले भी घाट राजा की मनमानी से लोग परेशान थे। अब तो इनकी बदमाशी चरम पर है। जो मृतक के रिश्तेदारों को रास नहीं आ रही है। नतीजतन लोग अपनों की लाश को बगैर मुखग्नि दिए अस्पताल में छोड़ जा रहे है।
ऐसा ही एक मामला सामने आया है। दो रोज पहले एक बैंक प्रबंधक की कोरोना से मौत हुई थी। दरभंगा से उनकी पत्नी व परिजन और कोलकता से उनके साले भागलपुर आए। अंतिम संस्कार करने अस्पताल से लाश बरारी श्मसान घाट ले गए। तो घाट राजा ने डेढ़ लाख रुपए मांगे। यह बात तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के अधिकारी प्रो. रामप्रवेश सिंह बताते हुए कहा कि मृतक की पत्नी के पास चालीस हजार रुपए ही थे। प्रो.सिंह मृतक के करीबी है।
वे बताते है कि बाद में बरारी पुलिस के सहयोग से वे रात में दोबारा लाश लेकर श्मसान घाट पहुंचे। तो घाट राजा ने एक लाख रुपए मांगे। पुलिस की दखल के बाद वे दो बात पर अड़ गए। एक तो लाश को एम्बुलेंस से चिता पर परिजन ही रखें और दूसरा पचास हजार रुपए से लाल पाई कम नहीं लेंगे। यह दोनों ही शर्त इनके बूते के बाहर थी। चूंकि लाश के साथ मृतक की पत्नी और साला ही था। दो जनों से लाश को चिता पर रखना संभव नहीं था। दूसरा उनकी अंटी में चालीस हजार रुपए ही थे।
कहते है कि मृतक की पत्नी ने घाट राजा की काफी खुशामद की। रोयी-बिलखी। मगर कोई असर नहीं हुआ। तब तक सुबह हो गई। तो वे वापस एम्बुलेंस से लाश लेकर भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल आ गए। और लाश वहीं छोड़ मंगलवार शाम पत्नी – बच्चे दरभंगा और साला कोलकता लौट गए। जाते -जाते पत्नी ने कहा एक तो मेरा सब कुछ लूट गया। और दूसरा पति की लाश को मुखग्नि देने से रोक दिया गया। यह पाप है। इसका हिसाब ईश्वर के सामने देना होगा।
बाद में बुधवार सुबह अस्पताल प्रशासन ने बैंक प्रबंधक की लाश को लावारिश करार दे अंतिम संस्कार कराया। इस शर्मनाक वाकए के बाद आनन – फानन में गुरुवार (16 जुलाई) को नगर निगम का बरारी में बना बिजली चालित शवदाह गृह महापौर और उपमहापौर ने फीता काट उदघाटन किया। और बताया कि कोरोना काल में यह सेवा निशुल्क है। लेकिन हरेक मृतक के परिजन बिजली चालित शवदाह गृह में अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते।
ऐसे में घाट राजा की रंगदारी लोग कैसे झेलेंगे । प्रशासन और सामाजिक संगठनों से इससे कोई सरोकार ही नहीं लगता। ऐसे में कोई घटना होने से इंकार नहीं किया जा सकता। वैसे भागलपुर का बरारी इलाका अपराध ग्रस्त है। आए दिन वाकए होते रहते है। मगर मुक्ति धाम के घाट राजा की रंगदारी से कौन मुक्त कराएगा? यह अनुत्तरित सवाल खड़ा है।
