साल 2017 में भागलपुर का विकास सृजन घपले की भेंट चढ़ गया। दो साल पहले बिहार के इकलौते शहर भागलपुर को स्मार्ट सिटी बनाने और केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाकर ऐतिहासिक विक्रमशिला का गौरव वापस बरकरार करने की केंद्र सरकार की घोषणा सपना बन कर रह गई। दोनों पर एक इंच काम नहीं हुआ। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी अपने दौरे के क्रम में कह गए थे कि विक्रमशिला के पुनरुथान के लिए प्रधानमंत्री से बात करूंगा, फिर भी कुछ नहीं हुआ। एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सरकारी व बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के गठजोड़ से हुआ सैकड़ों करोड़ रुपए के सरकारी धन का घपला बिहार के चर्चित चारा घोटाले को भी पीछे छोड़ दिया। चारा घोटाला तकरीबन 900 करोड़ रुपए का था जबकि सृजन घपला अब तक 1400 करोड़ रुपए का आंका जा चुका है।

इस दोनों घोटालों में समानता एक बात लेकर है कि राजनीतिक और बड़े अफसरों का संरक्षण घपलेबाजों के साथ रहा है। सीबीआई 22 अगस्त से लेकर अब तक भागलपुर में सृजन की जांच के लिए पड़ाव डाले हुए है। घोटाला तो सबौर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय में 161 सहायक शिक्षक और कनीय वैज्ञानिकों की बहाली करने में भी सामने आया। आरोप सीधे पूर्व कुलपति मेवालाल चौधरी पर लगा, जिसकी जांच चल रही है। इसमें मामला दर्ज हो चुका है। मेवालाल जद (एकी) के तारापुर सीट से विधायक हैं और फिलहाल जमानत पर हैं। वहीं, दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री व आप के विधायक जितेंद्र सिंह तोमर की एलएलबी की कथित डिग्री की वजह से तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सिर बदनामी का सेहरा बंधा। विश्वविद्यालय के 17 कर्मचारी व अधिकारी दिल्ली की साकेत मेट्रोपॉलिटन कोर्ट का चक्कर आज भी काट रहे हैं। बागबाड़ी सरीखे घपले की लंबी फेहरिस्त है जो भागलपुर को शर्मसार करती हैं।

भागलपुर की महिलाएं चोरी करती दिल्ली में पकड़ी गईं। जिले पर कलंक इनकी करतूत ने भी लगाया। अपराध के वाकए और नक्सली गतिविधि भी हावी रही। नवगछिया झंडापुर के महादलित परिवार की एक लड़की से दुष्कर्म करने की कोशिश और घरवालों के विरोध करने पर मां बाप और छोटे भाई समेत तीन लोगों को मौत के घाट उतारने और लड़की को अधमरा छोड़ फरार होने की घटना भी चर्चा में रही। वकीलों का आंदोलन भी साथी वकील आरजू की हत्या के खिलाफ हुआ। राज्यसभा सांसद कहकशां परवीन के भागलपुर आवास पर बमों से बदमाशों का हमला खौफ पैदा कर गया। कई कांडों की गुत्थी एसएसपी मनोज कुमार ने सुलझाई,  तो कई अनसुलझे रह गए। हथियारों की तस्करी खूब हुई जबकि पांच सौ से ज्यादा निर्मित और अर्ध्य निर्मित देसी तमंचे पुलिस ने तलाशी के दौरान जब्त किए।

नगर निगम चुनाव में बाहुबली और धनबली का बोलबाला रहा। सख्त रोक के बाबजूद शराब की बिक्री होती रही। शराब की खेप जब्त भी हुई। मगर चूहे पुलिस मालखाने को मयखाना समझ जब्त शराब को गटक गए। डीआईजी विकास वैभव ने कड़ा रुख अपनाते हुए अपराध पर काबू न कर पाने की वजह से एक दर्जन से ज्यादा पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया। वहीं, आईजी सुशील खोपड़े के दबाव के कारण मसुदनपुर रेलवे स्टेशन से नक्सली के अगवा किए गए दो रेल कर्मचारियों को छुड़वाया जा सका। हाथी ने भी कहलगांव इलाके में उत्पात मचा पांच जनों की जान ली।

ट्रेनों की लेटलतीफी साल भर जारी रही। दिल्ली से आने जाने वाली ट्रेनों का हाल ठंड में ही नहीं गर्मी के मौसम में भी बुरा रहा। रेलवे ने कोई नई ट्रेन नहीं दी। बल्कि भागलपुर-रांची एक्सप्रेस वाया क्युल ट्रेन मई से हमेशा के लिए बंद कर दी। राजधानी ट्रेन चलाने का सपना पूरा नहीं हो सका। हवाई जहाज उड़ाने का वायदा भी हवा-हवाई ही साबित हुआ। ख्यालों में हवाई सेवा रोज शुरू जरूर हो रही थी। गंगानदी की गाद ने भागलपुर के इलाके को बाढ़ ने हरेक साल की तरह फिर डुबोया। बाढ़ इस इलाके की स्थाई मुसीबत बनी है। विशेषज्ञ हवाई सर्वेक्षण करते हैं। मंगलवार को भी एक दल हेलीकाप्टर से दौरा कर गया है लेकिन इसेस होता कुछ नहीं है। बिहार सरकार की नई खनन नीति की वजह से भागलपुर में भी निर्माण काम बीते चार महीने से बंद हैं। हजारों दिहाड़ी मजदूरों के सामने रोटी के लाले पड़े हैं। बाबजूद इसके लोगबाग 31 दिसंबर की रात जश्न मना कर बीते साल को अलविदा और नए साल का इस्तकबाल करने की तैयारियों में लगे हैं।