जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। राज्य में सियासत गरम होती दिखाई दे रही है। पिछले कुछ दिनों से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के अंदर घमासान मचा हुआ। पार्टी में 48 घंटे के भीतर ममता के खिलाफ दूसरी बार बगावत हुई है। मंत्रिमंडल में शामिल रहे शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे के बाद ममता सरकार के वन मंत्री तथा शुभेंदु के करीबी राजीव बनर्जी भी बगावत उतर आए हैं।
राजीव बनर्जी ने पार्टी के कामकाज पर आरोप लगाते हुए कहा है कि टीएमसी में नेतृत्व से करीबी संबंध रखने वालों को महत्व दिया जाता है जबकि मेहनती कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है। उनका कहना है कि पार्टी के अंदर योग्यता को नहीं भ्रष्टाचारियों को वरीयता मिल रही है, जिसका न्याय आने वाले समय जनता खुद करेगी। राजीव बनर्जी से पहले शुभेंदु अधिकारी भी पार्टी पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके हैं। इसके अलावा गौतम देव, रवींद्रनाथ घोष, शीलभद्र दत्त, अतीन घोष सरीखे बड़े नेताओं के भी भाजपा में शामिल होने की अटकलें हैं।
राजीव बनर्जी ने ममता सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीति में कुछ ऐसे लोग हैं जो सत्ता का आनंद लेने के बारे में सोचते हैं और लोगों की सेवा करना उनका किसी भी तरह का कोई लक्ष्य नहीं है। राजीव ने कहा कि एक राजनीतिक मंच का इस्तेमाल देश और राज्य की जनता की मदद के लिए किया जा सकता है लेकिन कई लोगों ने राजनीतिक मंच को व्यक्तिगत लक्ष्यों के उपयोग के लिए करना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘इससे मुझे दुख होता है कि जो लोग जनता के हित में काम कर रहे हैं और सक्षम तथा मेहनती हैं, उन्हें उचित महत्व नहीं मिल रहा है, जबकि जो लोग वातानुकूलित कक्षों में बैठे हैं और सोचते हैं कि जनता को बेवकूफ बनाया जा सकता है, उन्हें सिर्फ इसलिए महत्व दिया जा रहा है क्योंकि उनके लिए जो लोग मायने रखते हैं, उन्हें वे खुश रखते हैं।’
राजीव बनर्जी के बयान पर टीएमसी ने भी पलटवार किया है। पार्टी महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘हमारी सरकार वातानुकूलित कक्षों में नहीं बैठती है, हमारी सरकार सेवाओं को प्रदान करने के लिए लोगों के घरों के दरवाजों तक पहुंचती है।’ वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि यदि कोई जाना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है।