पिछले हफ्ते पश्चिम बंगाल के हावड़ा इलाके में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश नरसिम्हा रेड्डी के नेतृत्व में एक छह सदस्यीय दल हिंसा प्रभावित हुगली जिले का दौरा करने पहुंचा था लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।

नरसिम्हा रेड्डी ने कहा कि हमें रोक दिया गया है और पुलिस कह रही है कि इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लगाई गई है लेकिन यहां कुछ भी नहीं है। वे डरे हुए हैं क्योंकि उनका पर्दाफाश हो जाएगा।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेड्डी के नेतृत्व में एक टीम को सेरामपुर और रिशरा के रास्ते में कोननगर के पास रोक दिया गया क्योंकि क्षेत्र में अभी भी निषेधाज्ञा लागू है।

यह टीम रविवार को हावड़ा जिले के शिबपुर का दौरा करने वाली है। और रामनवमी के दौरान इन इलाकों में हुई हिंसा को लेकर राज्य के गृह सचिव बीपी गोपालिका से भी मिलने की मांग कर रही है।

“सरकार क्या छुपा रही है”


फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्य चारु वली खन्ना ने कहा, “वे मुझे रोक रहे हैं और दीवार की तरह खड़े हैं। सरकार क्या छुपा रही है? क्या राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम नहीं है? हम भीड़ लेकर नहीं जा रहे हैं। बस पीड़ितों से मिलना चाहते हैं।

बंगाल हिंसा के बाद सरकार अभी भी उन इलाकों पर नजर बनाए हुए जिन्हें सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में देखा गया था। पश्चिम बंगाल पुलिस कर्मियों ने हुगली में हनुमान जयंती उत्सव से पहले एक फ्लैग मार्च किया था। रामनवमी के जुलूस के दौरान दंगाइयों ने सार्वजनिक और निजी संपत्तियों में तोड़फोड़ की और वाहनों में आग लगा दी थी। जिसके बाद सियासी बयानबाजियों का एक दौर चल निकला था।

कौन हैं न्यायाधीश नरसिम्हा रेड्डी

न्यायमूर्ति एल नरसिम्हा रेड्डी पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे और हैदराबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश थे । उन्हें हाल ही में अध्यक्ष सीएटी और हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त किया गया था।