30 मार्च को राजस्थान दिवस के के अवसर पर राजस्थान को केंद्र सरकार की ओर से एक विशेष उपहार मिला है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य के बाड़मेर जिले में रिफाइनरी लगाने को लेकर अपनी मंजूरी दे दी है। वसुंधरा राजे ने अपने सोशल पेज ट्विटर पर मोदी सरकार के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने लिखा कि राजस्थान में बाड़मेर के लोगों को आज रिफाइनरी ही नहीं, इंसाफ भी मिला है- राजस्थान दिवस पर मुनाफ़े की रिफाइनरी मैं राजस्थान की जनता को समर्पित करती हूं। आपको बता दें कि बाड़मेर के पचपदरा क्षेत्र सांभरा गांव में रिफाइनरी के लिए जमीन पहले से ही आरक्षित है। इस रिफाइनरी के लगने से प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिलने की काफी उम्मीदे हैं। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन की राजनीतिक विवादों में काफी लंबे समय तक उलझी रही। 37,000 करोड़ रुपए की राजस्थान रिफाइनरी योजना अब जाकर राज्य के लोगों के लिए राहत और उम्मीदों से भरा फैसला किया है।

आपको बता दें कि बाड़मेर रिफाइनरी की घोषणा कांग्रेस सरकार के शासनकाल में फरवरी 2013 में राज्य सरकार व एचपीसीएल कंपनी के बीच एमओयू में 26% हिस्सेदारी के साथ रखी गई थी। राजस्थान सीएम की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बाड़मेर रिफाइनरी प्रोजेक्ट में सरकार के प्रयासों से ब्याज मुक्त ऋण 56040 करोड़ से घटकर 16845 करोड़ हुआ है। बीजेपी सरकार के शासन में राज्य में काफी विकास हुआ है और जो रुका हुआ है उसे राजे सरकार पूरा करने की कोशिश कर रही है। सरकार के आते ही राजस्थान में मेट्रो चलने लगी है। इसके अलावा वसुंधरा राजे ने कहा है कि एनएचएआई के माध्यम से रिंग रोड को भी पूरा करने का वादा किया है। वसुंधरा राजे ने सोशल पेज पर बताया कि राजस्थान में 23,000 से अधिक माइक्रो एटीएम स्थापित किये गये हैं, जो कि देश में सर्वाधिक हैं।

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इस रिफाइनरी को लेकर काफी लंबे समय तक कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद चलता रहा। राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया लगाते हुए कहा था कि रिफाइनरी को नहीं लगने देने के लिए बार-बार सर्वे का हथकंडा अपनाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से रिफाइनरी के लिए बार-बार सर्वे पर एतराज जताते हुए पूछा था कि रिफाइनरी के लिए वह कितने सर्वे कराएगी। प्रदेश में कांग्रेस शासन में बाड़मेर में रिफाइनरी लगने का फैसला हो गया था और इसका शिलान्यास हो गया था। लेकिन प्रदेश में शासन बदलने के साथ ही भाजपा सरकार ने रिफाइनरी का मसला ठंडे बस्ते में डाल दिया था। बता दें कि बाड़मेर में कच्चे तेल के कुएं हैं, इसलिए पूर्व की गहलोत सरकार ने रिफाइनरी को प्रदेश के विकास के लिए अहम माना था। भाजपा सरकार ने इसे प्रदेश के लिए घाटे का सौदा करार देते हुए इस पर नए सिरे से विचार का फैसला किया था।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस मामले में प्रदेश की शर्तों के हिसाब से रिफाइनरी की स्थापना को मुद्दा बनाया हुआ है। कांग्रेस इस मामले में भाजपा सरकार के प्रति आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। पश्चिमी राजस्थान में तो ‘रिफाइनरी बचाओ संघर्ष समिति’ लंबे समय से आंदोलन कर रही है।