Bihar Elections 2025: बिहार में वोटर रिवीजन का काम पिछले कई दिनों से जारी है, इसको लेकर विवाद तो है ही, चुनावी मौसम में राजनीति भी तेज हो चुकी है। इस बीच चुनाव आयोग की इस कार्रवाई को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक इस रिवीजन के दौरान चुनाव आयोग को पता चला है कि वोटर लिस्ट में कई ऐसे भी लोग हैं जो नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध रूप से यहां आए हैं।

वोटर रिवीजन में क्या सामने आया?

बताया जा रहा है कि अभी तक 80 फ़ीसदी से ज्यादा लोग अपनी डिटेल्स चुनाव आयोग को दे चुके हैं। उनकी तरफ से अपना नाम, पता, जन्म तिथि, आधार नंबर, वोटर पहचान सहित दूसरी चीजें बताई गई हैं। बड़ी बात यह है कि इस पूरी प्रक्रिया के लिए पहले चुनाव आयोग ने 25 जुलाई को अंतिम तारीख तय किया था, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि समय सीमा से पहले ही यह पूरी प्रक्रिया खत्म हो सकती है।

वैसे चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि जिन लोगों का नाम 1 अगस्त वाली लिस्ट में नहीं होगा उन्हें भी दोबारा वोटर लिस्ट में शामिल होने का मौका मिल सकता है, अगर वे समय रहते रजिस्ट्रेशन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी को जरूरी दस्तावेज दे देंगे।

वोटर लिस्ट रिवीजन का क्या मतलब?

पहले यह जानना जरूरी है कि Intensive Revision यानी वोटर लिस्ट के गहन रिवीजन के दौरान क्या होता है? इस दौरान घर-घर जाकर मतदाताओं से जुड़ी जानकारी ली जाती है। ऐसा तब किया जाता है जब चुनाव आयोग कहता है कि मौजूदा वोटर लिस्ट पुरानी हो चुकी है, गलत है या इसे फिर से बनाना जरूरी है। आमतौर पर ऐसा बड़े चुनावों से पहले या लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन के बाद होता है। यहां भी एक तरीके का नाम Special Intensive Revision (SIR) है।

यह तब किया जाता है जब वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर गलतियां हो या फिर कोई कानूनी या राजनीतिक बाध्यता हो। ऐसा होने पर यह पता चलता है कि चुनाव आयोग 1950 की धारा 21(3) के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर रहा है और यह उसे वोटर लिस्ट को उस ढंग से संशोधित करने की इजाजत देता है, जैसा वह सही समझे।

ये भी पढ़ें- क्यों जरूरी है वोटर लिस्ट का रिवीजन