वायु प्रदूषण नियंत्रित करने की दिशा में कठोर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों की बिक्री और खरीद पर एक तरह से प्रतिबंध लगा दिया। अदालत ने तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक के लिए सभी पटाखा विक्रेताओं के लाइसेंस निलंबित कर दिए। प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति एसए बोबडे के तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा- जनहित की खातिर अगले आदेश तक दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखे रखने, उनके भंडारण और बिक्री संबंधी सारे मौजूदा लाइसेंस निलंबित किए जाते हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को यह निर्देश भी दिया कि अगले आदेश तक किसी भी लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जाए।
अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन पटाखों में प्रयुक्त सामग्री के दुष्प्रभावों का अध्ययन करके छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। पटाखों की बिक्री, खरीद और उनके भंडारण के लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का मतलब राजधानी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना ही है। शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि वह एक एक कदम बढ़ाएगी, क्योंकि पटाखे अब जीवन का हिस्सा बन चुके हैं और ऐसा उचित आदेश देने की आवश्यकता है जिसे लागू किया जा सके।
अदालत ने यह भी कहा था कि वह नए लाइसेंस नहीं देने और मौजूदा लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करने का आदेश देने या केंद्र सरकार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के वर्तमान लाइसेंस निलंबित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने पर विचार कर रही है। अदालत ने यह भी कहा था कि वह पटाखों के वायु की गुणवत्ता, स्वास्थ्य और जीवनशैली पर पड़ने वाले प्रभाव पर शोध और इस बारे में रिपोर्ट के अवलोकन के बगैर कोई अंतिम आदेश नहीं देगी।पटाखे चलाने को ‘धन जलाने’ के समकक्ष रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि लोगों को सोचना चाहिए कि जब इन पटाखों से मनुष्य इतना अधिक प्रभावित होता है तो कुत्ते जैसे जानवरों पर इसका क्या असर पड़ता होगा। जिनके कान इंसान से अधिक संवेदनशील होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में 30 फीसद बच्चे अस्थमा से प्रभावित हैं, इसलिए हर मोर्चे पर कदम उठाने की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया था कि पटाखे रखने, उनके भंडारण और बिक्री के लाइसेंस निलंबित करने व उनका नवीनीकरण नहीं करने के लिए सरकार को एक समयसीमा दी जाए। याचिकाकर्ताओं ने पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध करते हुए तर्क दिया था कि इनके इस्तेमाल से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का वायु प्रदूषण का स्तर बद से बदतर हो गया है। अदालत के इस फैसले का कई हरित निकायों ने स्वागत किया है।
