उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में सरकारी इंटर कॉलेज में दलित समुदायों के छात्रों के साथ कथित तौर पर भेदभाव का मामला सामने आया है।  जिला प्रशासन ने गुरुवार को इस आरोप में सरकारी बोर्डिंग गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। दलित छात्रों के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर गुरुवार को भीम आर्मी के प्रतिनिधियों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था। यहां मेहनगर के गौर गांव में समाज कल्याण विभाग की तरफ से संचालित राजकीय आश्रम पद्धति बालिका इंटर कॉलेज में लड़कियों के हॉस्टल बनाया गया है। मेहनगर के SDM दुष्यंत कुमार मौर्य ने कहा, ‘हम मामले की जांच कर रहे हैं और यदि प्रिंसिपल दोषी पाई गईं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।’

हर दिन भेदभाव का लगाया आरोपः SDM ने बताया कि नौवीं कक्षा की छात्राओं के बीच बुधवार को किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। जिसके बाद वे दोनों अपनी शिकायत लेकर प्रिंसिपल रागिनी सिंह के पास गईं। उन दोनों में से एक छात्र दलित समुदाय की थी। छात्रा ने प्रिंसिपल पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रिंसिपल ने उसके साथ बुरा व्यवहार किया गया। यही नहीं छात्रा ने अपना पक्ष नहीं सुने जाने का भी आरोप लगाया। इस घटना के बाद पांच दलित छात्रों ने SDM को पत्र लिखकर बताया कि स्कूल में उनके साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता है। सुबह प्रार्थना सभा में आखिरी पंक्ति में खड़ा करवाया जाता है और क्लास में पीछे बैठने को कहा जाता है।

ये कहा भीम आर्मी प्रवक्ता नेः भीम आर्मी के प्रवक्ता मंजीत सिंह नौटियाल ने बताया कि हमने गुरुवार को स्कूल में अपनी टीम भेजी थी जहां हमने देखा कि दलित छात्रों को स्कूल में नियमित पढ़ाई से दूर रखा जाता है। उनके साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता है। नौटियाल ने बताया कि वे अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपेंगे और अगर जिला प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है तो आंदोलन किया जाएगा। समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक सुरेश चंद्र पाल ने कहा कि यदि प्रिंसिपल पर लगे आरोप सही साबित होते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पाल ने बताया कि स्कूल में 303 छात्र हैं जिनमें से 183 दलित समुदाय के हैं। जबकि 87 ओबीसी, 33 सामान्य श्रेणी के हैं। पाल ने बताया कि यह एक आवासीय स्कूल है जिसमें पिछड़े वर्ग के समुदाय के लिए आरक्षण दिया गया है।

 

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक लिखित शिकायत में दलित छात्रों ने उनके साथ समान व्यवहार करने और प्रिंसिपल के निलंबन की मांग की है। प्रिंसिपल पर आरोप लगाते हुए छात्रों ने कहा, ‘वह न केवल हमारे साथ बुरा व्यवहार करती हैं बल्कि हमारे माता-पिता के लिए भी अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करती हैं। उन्हें जातिसूचक शब्दों से संबोधित करती हैं। प्रिंसिपल कार्यालय से डॉ बीआर अंबेडकर की तस्वीर को भी हटा दिया गया है। यही नहीं धमकी भी मिली है कि अगर स्कूल प्रशासन के खिलाफ कुछ भी कहा तो अच्छा नहीं होगा।’ हालांकि इस पूरे मामले पर से स्कूल प्रिंसिपल कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।