राजधानी दिल्ली सहित समूचा एनसीआर गैस चेंबर बना हुआ है। जिसे देखते हुए सरकारी तंत्र ने लोगों, खासक र रिक्शा चालकों व मेहनत मजदूरी करने वालों के लिए परामर्श जारी कि या है। इसमें भारी व मेहनत वाला काम करने से परहेज क रने व प्रदूषित हवा में जाने से बचने को कहा है। ऐसे में जो सक्षम हैं उनके लिए बाजार मुंह बाए खड़ा है लेकि न दो जून की रोटी जिनके लिए रोज का संघर्ष है उनके लिए यह परामर्श महज कागजी खानाफूर्ति साबित हो रहे हैं।
वहीं बाजार के लिए यह सुनहरा मौका बनकर आया है, जहां एयर प्यूरीफायर, ऑक्सीजन बार व मास्क की मांग चरम पर है। राजधानी में स्कू ल तो बंद क र दिए गए हैं लेकि न क ई इलाके ऐसे हैं, जहां देख क र लगता ही नहीं कि क हीं कोई भी बदलाव है। इनमें थोक बाजार चांदनी चौक , चावड़ी बाजार, गीता कालोनी, सदर बाजार, सब्जी मंडी, करोल बाग, कमला मार्के ट व गुडमंडी लोहा मंडी, पहाड़ी धीरज जैसे इलाके शामिल हैं, जहां ठेलिया, पीठ व सर पर सामानों के भारी बंडल उठाए मजदूरों का बोझ व धुएं के मारे बुरा हाल है फि र भी वे काम छोड़ नहीं सक ते क्योंकि उनकी दिहाड़ी नहीं बनी तो चूल्हा कै से जलेगा?
चांदनी चौक में कपड़ों का बड़ा गठ्ठर उठाए मजदूर महावीर ने हांफ ते हुए क हा कि उसे मालूम तो है कि प्रदूषण बढ़ा है लेकिन काम नहीं क रेंगे तो खाएंगे क्या? यहीं पर ठेलिया पर सामान लादे तेज रफ्तार भीड़ को चीरते हुए बढ़ रहे मजदूर मायाराम को तो पता भी नहीं कि दिल्ली में जो अंधेरा है वह कि सी प्रदूषण से है या बादल अथवा कोहरा। उन्होंने कहा कि काम तो क रना है, कोहरा बढ़ गया है, माने सर्दी का मौसम है इसलिए दम फूल रहा है।

