उत्तराखंड में मूल निवास प्रमाण पत्र और भू कानून को लेकर सामाजिक संस्थाएं और सामाजिक संगठन एक बार फिर से आंदोलित हैं। इस लेकर इन संगठनों ने देहरादून में एक बड़ी रैली निकालकर एक सख्त भू कानून देने और मूल निवास प्रमाण पत्र की मांग राज्य सरकार के सामने रखी। इस आंदोलन में उत्तराखंड क्रांति दल, उत्तराखंड महिला मंच समेत कई संस्थाएं जुड़ी हुई हैं। इस आंदोलन ने 1994 में उत्तराखंड में राज्य निर्माण आंदोलन की याद को फिर से ताजा कर दिया है।
वहीं, राजनीतिक समझदारी दिखाते हुए राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वह मूल निवास प्रमाण पत्र और सशक्त भू कानून को लेकर जनता के साथ हैं। मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि राज्य सरकार उत्तराखंड में भू माफिया, नशा माफिया, नकल माफिया, खनन माफिया के खिलाफ सख्त अभियान चलाए हुए है और किसी भी सूरत में इनको राज्य में पनपने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार चाहती है कि राज्य में एक पारदर्शी और सशक्त भू कानून बने।
देहरादून में युवाओं और महिलाओं ने जो रैली निकाली उसमें लोगों की मांग थी कि उत्तराखंड को चाहिए कि मूल निवास 1950 और सशक्त भू-कानून। इस मांग के साथ प्रदेश के दूरस्थ पहाड़ी स्थलों से आए हजारों लोगों के साथ ही मातृ शक्ति की गूंज चारों ओर रही। करीब 30 साल पहले 1994 में आरक्षण के आंदोलन से शुरू हुआ उत्तराखंड राज्य आंदोलन फिर से उत्तराखंड के मूल निवासियों के दिलों में आग बनकर धधकने लगा है।
जिस तरह का सैलाब देहरादून की सड़कों पर दिखा, उसने अलग राज्य के लिए चली आंदोलन की याद को ताजा कर दिया। मूल निवास और सशक्त भू कानून को लेकर शुरू हुआ आंदोलन आने वाले समय में क्या रूप लेता है यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि आंदोलन ने उत्तराखंड के मूल निवासियों की पीड़ा को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के राजनीतिक गलियारों में जबरदस्त चर्चा के लिए एक सवाल छोड़ दिया है और जिसे समझने के लिए सरकार और विपक्ष को समझने के लिए अवश्य ही विवश कर दिया है।
उत्तराखंड के लिए जिस तरह से स्वत: स्फूर्त आंदोलन पहाड़ से लेकर मैदान तक चला, उसी प्रकार से अब मूल निवास के बहाने शुरू हुआ आंदोलन निश्चित तौर पर राज्य को फिर से एक नई दिशा देने की ओर कदमताल करता दिख रहा है। राज्य आंदोलन के दौरान सुनाई देने वाले प्रमुख नारे आज फिर से मूल निवास के आंदोलन की लड़ाई के दौरान आसमान में गूंजते रहे। कोदा झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे, बोल पहाड़ी हल्ला बोल जैसे नारों के साथ देहरादून के परेड ग्राउंड में पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए।
मूल निवास और भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित मूल निवास स्वाभिमान रैली में पहाड़ के विभिन्न हिस्सों से कई सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों, राज्य आंदोलनकारियों और आम जनता ने भाग लिया। परेड ग्राउंड से नारों की गूंज के साथ शुरू हुई रैली शहीद स्मारक में समाप्त हुई। रैली में हर तरफ से एक ही आवाज गूंज रही थी कि उत्तराखंड को चाहिए मूल निवास 1950 और सशक्त भू-कानून।