ओम प्रकाश ठाकुर 

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में शिपकि ला के नीचे नामगिया डोगरी में चार दिन पहले हिमखंड के नीचे दबे 7 जम्मू-कश्मीर रायफल के छह जवानों को निकालने के लिए 300 जवानों के अतिरिक्त खोजी कुत्तों, मेटल डिटेक्टर और थर्मल डिटेक्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। शनिवार को मौसम ठीक होने की वजह से दूसरे दिन भी राहत और बचाव कार्य पूरे दिन जारी रहा। लेकिन शाम तक एक भी जवान को बर्फ के नीचे से नहीं निकाला जा सका है।

एडीएम पूह शिव मोहन सिंह सैणी ने कहा कि जहां पर यह जवान दबे हैं, वह बहुत मुश्किल जगह है। इसके अलावा वहां बहुत भारी बर्फ है। उन्होंने कहा कि आज 7 जेके रायफल की दो टीमें मौके पर पहुंची है। लेकिन बर्फ इतनी ज्यादा है कि उसे हटाने में दिक्कतों का सामाना करना पड़ रहा है। यह पूछे जाने पर कि क्या किसी तरह की अन्य मशीनरी की जरूरत है, इस बावत सैणी ने कहा कि सेना के पास पर्याप्त मशीनरी है। अभी तक जिला प्रशासन से किसी तरह की मांग नहीं की गई है।

संयुक्त टीम ऑपरेशन कर जवानों को बचाया गया: बता दें कि किन्नौर में हिमस्खल में फंसे जवानों को बचाने के लिए सेना, भारत-तिब्बत सीमा बल (ITBP) और पुलिस की टीम ने संयुक्त ऑपरेशन चलाया था, जिसमें 5 जवानों को बुधवार को ही बचा लिया गया था। हालांकि हिमस्खलन में एक जवान शहीद हो गया।

पाइपलाइन ठीक करने गए थे जवान: अधिकारियों के मुताबिक, सेना के 16 जवान तिब्बत सीमा के पास नमज्ञा पहाड़ी इलाके में पानी की पाइपलाइन ठीक करने गए थे। उसी दौरान शिपकिला के पास हिमस्खलन हो गया, जिसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 300 जवानों को लगाया गया है।

एक जवान हुआ शहीद: किन्नौर के डिप्टी कमिश्नर गोपाल चंज ने बताया कि जो जवान हिमस्खलन में फंसकर शहीद हुआ है, उनका नाम रमेश कुमार है। वे हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के घूमरपुर गांव के रहने वाले थे।